सासंद निशिकांत दुबे की तथाकथित विकास की खुली पोल, ग्रामीणों ने लगाया नारा रोड नहीं तो वोट नहीं

सासंद निशिकांत दुबे की तथाकथित विकास की खुली पोल, ग्रामीणों ने लगाया नारा रोड नहीं तो वोट नहीं 

चुनाव का मौसम आया है तो अब गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के दिल्ली वाले नेता जी फील्ड पर निकल आए हैं।

हां वह बात अलग है की साढ़े चार साल तक नेताजी का कोई ठौर ठिकाना नहीं रहा है।

आश्चर्य तो इस बात की है कि आखिर इतनी सड़ी गर्मी में सांसद महोदय अपनी जनता से मिलने कैसे आ गए ?

जो सांसद अपने अरबपति ठेकेदारों के घरों पर AIRCONDITION रूम में बैठकर पैक बॉटल की महंगी से महंगी ब्रांडेड पानी पीक कर उल्टे पांव दिल्ली लौट जाते हैं और उस जनता को पलट करके भी नहीं देखते जिनके वोट पर वह जीत कर दिल्ली गए हैं।

लेकिन जब चुनाव का मौसम आता है तो सासंद महोदय उसे जनता के पास पहुंचते हैं जिनको उन्होंने अपने लगभग आधे से ज्यादा कार्यकाल तक सड़ने के लिए छोड़ दिया था।

लेकिन नेताजी को इस बात का समझ होना चाहिए कि यह सोशल मीडिया का दौर है यहां कुछ नहीं छुपता जनता धीरे धीरे समझदार होती जा रही है। अब सांसद महोदय के लोक लुभावन वादों से बिल्कुल इतर सांसद महोदय की गदह पच्चीसी का विरोध झेलना पड़ सकता है।

ठीक यही ताजा मामला गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के मोहनपुर  का है जहां सांसद  निशिकांत दुबे जनता से वोट मांगने निकले थे। जिसके बाद जनता ने बीच हुजूम में बेइज्जत कर दिया। क्या मामला बताते हैं आपको इस रिपोर्ट में।

चुनाव का मौसम है और तमाम नेतागण अपने-अपने स्तर पर जनता को अपनी तरफ मोहित करने के लिए तमाम हथकंडे अपना रहे हैं।

लेकिन जनता है की जो अपने विकास का हिसाब मांगने से पीछे नहीं हट रही है, बता दें कि गोड्डा लोकसभा से सांसद निशिकांत दुबे को मोहनपुर गांव में प्रचार प्रसार करते वक्त जनता का भारी विरोध झेलना पड़ा है। ग्रामीणों के बीच सांसद निशिकांत के लिए इतना गुस्सा है कि ग्रामीणों ने भरी सभा में खरी खोटी सुना दिया और नारा लगाया विकाश नहीं तो वोट नहीं

 

 यह बात अलग है की निशिकांत दुबे ने प्रण किया था कि अगर उनके खिलाफ प्रदीप यादव को महागठबंधन गोड्डा लोकसभा का प्रत्याशी बनाती है, तो फिर वोह प्रचार प्रसार नहीं करेंगे।

लेकिन सांसद महोदय ने अपना प्रण को भी अपने चुनावी लोक लुभावन वादों की तरह तोड़ दिया और निकल पड़े प्रचार करने के लिए।

लेकिन निशिकांत दुबे जी को लगा कि उनकी जग हंसाई ना हो इसे छुपाने के लिए सांसद दुबे जी ने प्रचार प्रसार का स्वरूप ही बदल दिया और अपनी प्रचार के कार्यक्रम को बड़ी चालाकी से चाय नाश्ता घुंगनी मुड़ी और शरबत का नाम दे दिया।

अब कान को उल्टे तरीके से पकड़कर सांसद ने प्रचार प्रसार शुरू कर दिया, लेकिन सांसद महोदय को पता ही नहीं था कि जिस जनता को उन्होंने 5 साल तक बेवकूफ बनाया था वह जनता इस बार उन्हें आइना दिखा देगी और ठीक ऐसा ही हुआ।

जनता के बीच जब सांसद महोदय पहुंचे तो जनता ने अपने विकास का हिसाब मांग लिया।

अब गांव देहात की जनता को भला क्या समझ में आएगा कि उनके क्षेत्र में एयरपोर्ट आ गया है,या उनको क्या समझ में आएगा कि उनके क्षेत्र में एम्स बन चुका है उन्हें क्या समझ में आएगा कि उनके लोकसभा में ट्रेन आ गया है, और भला गरीब जनता को इन सब फाइव स्टार सुविधाओं से क्या वास्ता?

क्या गोड्डा से दिल्ली जाने वाली हमसफर पर 18 सौ रुपए का भाड़ा देकर एक गरीब व्यक्ति दिल्ली जा सकता है ? या 8000 हजार रूपए का टिकट कटाकर एरोप्लेन से दिल्ली जा सकता है ?

दोस्तों विकास के नाम पर सिर्फ और सिर्फ उनको ही फायदा पहुंचाया गया है जिनकी जेब में नोटो की बंडल का वजन बहुत ज्यादा है।

क्या सिर्फ शहरी विकास को ही मुद्दा बनाकर वोट मांगना सही है या फिर ग्रामीण विकास भी समृद्ध भारत के लिए अहम भूमिका निभाता है ? इन सवालों से सांसद महोदय का कोई वास्ता नहीं है सांसद महोदय तो अपने ही मुंह मियां मिट्ठू बनते रहते हैं।

हालांकि सासंद को भी यह बात समझ जानी चाहिए की जनता अब समझदार हो चुकी और उन को हर वादों को पूरा हिसाब देना होगा।

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