दुमका के सिद्धो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय से प्रणव दा को गहरा लगाव
रिपोर्ट: अजीत यादव
दुमका।
देश के पूर्व राष्ट्रपति वित्त मंत्री और राष्ट्रपति के रूप में दुमका आए थे। वित्तमंत्री रहते 26 मार्च 2011 को सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में तो बतौर राष्ट्रपति 29 अप्रैल 2013 को भी दीक्षांत समारोह में शिरकत किया था। प्रणब मुखर्जी का झारखंड के अत्यंत पिछड़े इलाके कहे जाने वाले दुमका के सिद्धू कानू मुर्मू विश्वविद्यालय से आत्मीय लगाव था। विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति मो.बशीर अहमद खान ने राष्ट्रपति का स्वागत किया था। यह महज संयोग ही कहा जाएगा कि तत्कालीन कुलपति बशीर अहमद खान के कार्यकाल में ही दो बार प्रणब मुखर्जी विश्वविद्यालय में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लिया था। पूर्व राष्ट्रपति का इस विश्वविद्यालय के साथ आत्मीय लगाव इस बात से भी पता चलता है कि वह इसके उत्तरोत्तर विकास के प्रति भी संजीदा थे और चाहते थे कि यह विश्वविद्यालय इस इलाके के गरीब और पिछड़े बच्चों के बीच शिक्षा का बेहतरीन उदाहरण पेश करें। उनके निधन से विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों समेत छात्र छात्राओं ने गहरा दुख जताया है और कहां है कि उनकी निधन की भरपाई निकट भविष्य में संभव नहीं है। दीक्षांत संबोधन में उन्होंने राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में शैक्षणिक स्तर पर चिंता जतायी थी कहा था कि शिक्षकों का धर्म है कि वह मानवीय सम्मान और समानता का प्रचार प्रसार करें। उन्होंने कहा था कि भारतीय समाज हर स्तर पर तेजी से करवट ले रहा है, इसलिए शैक्षणिक बदलाव को सकारात्मक दिशा दी जाये।