दुमका केंद्रीय कारा में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हार्डकोर नक्सली मनोज देहरी की मौत हो गई
रिपोर्ट: अजीत यादव
दुमका।
मनोज वर्ष 2008 में शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के तत्कालीन थानेदार शमशाद अंसारी समेत तीन पुलिसकर्मियों के हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। उसे वर्ष 2016 में सजा सुनाई गई थी। वह पिछले 12 वर्षों से जेल में बंद था और उसकी तबीयत अचानक रविवार को बिगड़ गई जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती किया गया जहां उसने दम तोड़ दिया। मनोज देहरी हार्डकोर नक्सली था और दुमका में नक्सली वारदात की शुरुआत करने में उसकी बड़ी भूमिका थी।
पत्नी और पुत्र नहीं भेंट कर पाए मरने से पहले मनोज से मनोज की पत्नी और उसके पुत्र संदीप देहरी को यह पीड़ा जीवन भर रहेगी कि उसे मरने से पहले अपने पिता से भेंट नहीं कर पाया। इन लोगों को जेल प्रशासन द्वारा खबर भिजवाया गया लेकिन सोमवार को सुबह में पहुंचने के बाद भी इधर-उधर घुमाया जाता रहा और कई घंटों के बाद बताया गया कि मनोज की मौत हो गई है। परिजनों ने आरोप लगाया है कि पुलिस प्रशासन जेल प्रशासन उसे आवेदन लिखने और कई प्रक्रिया करने में ही घंटों बिता दिया उसके बाद शव को देखने दिया। यहां बता दें कि वर्ष 2008 में 26 अप्रैल को नक्सली मुठभेड़ में शहीद हुए शिकारीपाड़ा के तत्कालीन थाना प्रभारी शमशाद अंसारी समेत तीन पुलिसकर्मी नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे जिसमें मनोज देहरी मौके पर से गिरफ्तार किया गया था और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। दुमका वर्ष 2008 के पहले तक काफी शांत था लेकिन 26 अप्रैल को शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के पोखरिया में पहाड़ी के ऊपर 9 से 10 की संख्या में नक्सली पहुंचे थे उन्हें उसी गांव में रात मेंं ठहरना था। पुलिस को इसकी सूचना मिली की नक्सली वहां मौजूद हैं। पुलिस ने सारी तैयारियां की, उस गांव को चारो ओर से घेर लिया। पर फिर भी सफलता हाथ नहीं लगी। नक्सली जाग गए और दोनों तरफ से मुठभेड़ शुरू हो गया। देर रात तक तक चले इस मुठभेड़ में शिकारीपाड़ा के तत्कालीन थाना प्रभारी शमशाद अंसारी शहीद हो गए। इस घटना में मनोज देहरी मुख्य भूमिका में था।