झारखंड आंदोलनकारी सह भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे करीब 55 वर्षीय हाराधन दास का मंगलवार की दोपहर को टीएमएच में निधन हो गया। वे वर्ष 2004 में पटमदा के जोड़सा गांव स्थित शक्तिश्वर शिव मंदिर के उद्घाटन समारोह के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के समक्ष भाजपा में शामिल हुए थे। 2005 के विधानसभा चुनाव में जुगसलाई से उन्होंने झामुमो प्रत्याशी दुलाल भुईयां के खिलाफ चुनाव लड़ते हुए 56 हजार वोट लाकर चौंका दिया था और मात्र 3 हजार वोटों से हार गए थे। व्यवहार कुशल, मृदुभाषी, मिलनसार व्यक्तित्व के धनी हाराधन बाबू के असामयिक निधन की खबर से पटमदा, बोड़ाम समेत पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्होंने 2009 में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय ही चुनाव लड़कर करीब 3 हजार वोट लाये थे। जिसके बाद फिर से वे वर्ष 2013 में भाजपा से जुड़े और 2014 के चुनाव में टिकट के प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन गठबंधन में यह सीट आजसू पार्टी की झोली में चले जाने से निराशा ही हाथ लगी। फिर 2019 में भी टिकट की आस लगाये हाराधन बाबू को उस वक्त निराशा हुई जब पटमदा निवासी मुचिराम बाउरी को उम्मीदवार बनाया गया। मूलतः पटमदा के माधवपुर गांव निवासी रहे हाराधन बाबू जमशेदपुर के बागुनहातू में अपने दो बच्चों के साथ रहते हुए अलग झारखंड राज्य की लड़ाई में आंदोलन करते हुए पुलिस की लाठियां खायी और संभवतः जेल भी गये थे। उनके पुत्र रवि दास एवं पुत्री की शादी हो चुकी है। खासकर पटमदा क्षेत्र के लोगों के साथ काफी मधुर संबंध थे एवं घर-घर में उनकी पहचान बन गई थी। इसलिए जिन्हें भी सूचना मिली वे काफी दुःख व्यक्त कर रहे थे। दूसरी ओर नेताजी सुभाष मंच पटमदा की ओर से उनके असामयिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मंच के अध्यक्ष ईशान चंद्र गोप, महासचिव दशरथ मंडल ने कया।