मानदेय नही मिलने से मदरसा शिक्षकों के सामने भुखमरी की स्थिति: नगमा आरा जावेद अख्तर की रिपोर्ट हनवारा। महागामा पश्चिमी की जिला परिषद नगमा आरा ने कहा है कि झारखंड के 114 मदरसों में पढ़ा रहे शिक्षकों को पिछले लगभग 4 वर्षो से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है। इसके कारण सैकड़ों मदरसा शिक्षकों की पारिवारिक गाड़ी हिचकोले खा रही है। कोरोना महामारी के दौरान मदरसा शिक्षकों के परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए है। पीड़ित मदरसा शिक्षक लगातार सरकार से शीघ्र बकाया मानदेय भुगतान की गुहार लगा रहे हैं । पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार ने मदरसों की मान्यता को लेकर रोक लगाई थी। जिप सदस्य नग़मा आरा ने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बीते विधानसभा चुनाव के दौरान सरकार बनते ही मदरसों के शिक्षकों के वेतन भुगतान करने की बात कही थी। जाहिर है मदरसा शिक्षकों की उम्मीद अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर टिकी हुई है। लेकिन हेमंत सोरेन सरकार द्वारा भी मदरसा शिक्षकों के वेतन भुगतान की दिशा में कार्रवाई नहीं किए जाने से पीड़ित शिक्षकों का धैर्य डगमगाने लगा है। जिला परिषद सदस्य श्रीमती आरा के अनुसार, शिक्षकों ने उन्हें बताया कि अगर यह सरकार भी हमारी नही सुनती है तो हमलोग जीवित नही रह पाएंगे। रोसोई घर के सारे डिब्बे खाली पड़े है। राशन दुकान की उधारी,बकाया स्कूल फीस ,बिजली बिल ,घिसे चप्पल ,फटे पुराने कपड़े यकीन दिला रहे हैं कि वेतन से वंचित मदरसा शिक्षक गरीबी एवं मजबूरी की स्थिति में आ गए हैं। पीड़ित मदरसा शिक्षकों का गाना है कि सरकार द्वारा बच्चों को मिड डे मील,पोशाक छात्रवृत्ति मुहैया करती है। फिर भी हम सबों पर सरकार की नजर नही आ रही है । इससे पहले भी ईद में कोई वेतन नही मिला ।अब बकरीद का महीने आने वाला है। पर पैसा की किल्लत के कारण हमारे छोटे छोटे बच्चों एवं परिवारों के चहरे पर मायूसी छाई हुई है।