कोरोना योद्धाओं में बैंक कर्मियों का नाम नहीं लिया जाना दुखद : नितेश

कोरोना योद्धाओं में बैंक कर्मियों का नाम नहीं लिया जाना दुखद : नितेश
गोड्डा।
झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक के क्षेत्रीय समिति के सचिव नीतीश मिश्रा ने कहां है कि आज एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में कोरोना के आर्थिक सिपाहियों (बैंकर्स) का नहीं लिया नाम। इससे आर्थिक सिपाही बैंकर्स में भारी रोष व्याप्त है। देश इस वक्त कोरोनावायरस महामारी के संकट से जूझ रहा है। संकट की इस घड़ी में हजारों लाखों लोग ऐसे हैं, जो देश की सेवा में जुटे हैं और पूरी ईमानदारी से अपना कार्य कर रहे हैं। फिर चाहे वो डॉक्टर हो, पुलिसकर्मी हो, सफाई कर्मी हो, या आर्थिक सिपाही (बैंकर्स) हो। डॉक्टर, पुलिसकर्मी और सफाई कर्मी की सब तारीफ कर रहे हैं। लेकिन पीएम मोदी और उनके सरकार की तरफ से आर्थिक सिपाही (बैंकर्स) को नजरअंदाज किया जा रहा है। जिससे बैंक कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।आर्थिक सिपाहियों का नहीं ले रहा है कोई नाम।
ना ही ताली, ना ही तारीफ, ना ही मिल रहा है कोई सम्मान।
झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक कर्मचारी संघ के क्षेत्रीय सचिव नितेश कुमार मिश्रा ने कहा कि आज डॉक्टर की तारीफ हो रही है,
पुलिस वालों के लिए ताली बजाया जा रहा है,
सफाई_कर्मियों के ऊपर फुल बरसाया जा रहा है,
लेकिन आर्थिक सिपाहियों(बैंकर्स) के लिए क्या हो रहा है, कुछ भी तो नहीं। हां यदा कदा पुलिस के डंडे जरूर बरसाए जा रहे हैं।
ऐसा क्यों?
क्या हम इस कोरोना युग में घर पे बैठे हैं या हम लोग देश की सेवा नहीं कर रहे हैं?
ये एक जायज सवाल है।
श्री मिश्रा ने कहा कि 3 अप्रैल 2020 से प्रधान मंत्री जन धन योजना अन्तर्गत महिला खाताधारियों को जो 500 रुपये का कोरोनाभुगतान आया है, उन सब खाताधारियों को जान हथेली पर रखकर बैंक कर्मचारी भुगतान कर रहे हैं।
क्या ये सही में इतना आसान काम है? क्योंकि ज्यादातर ऐसे शाखा हैं जहां एक काउंटर के माध्यम से ही जमा – निकासी की व्यवस्था है । शाखा में दो हीं तो स्टाफ हैं। ऐसे में इतने सारे कोरोना लाभुकों का भुगतान कैसे हो रहा है यह बात कोई नहीं सोच रहा है।
अपनी राजनीति चमकाने और दिखाने के लिए हर बार हर सरकार हम बैंकर्स का सहारा लेती है लेकिन हमारा वेज सेटलमेंट करने की बात आती है तो हम कभी भी नहीं दिखते हैं उन्हें। हम अपनी क्षमता से अधिक काम करते हैं। लाभ कमा कर देते हैं । फिर भी हर बार अपने वेज सेटलमेंट में 2-3 वर्ष की देरी झेलते हैं और वो 2-3 वर्ष में जब होता है तब तक हम अपने 15-20 दोनों की सैलरी कटवा चुके होते हैं। क्योंकि बिना हड़ताल के आज तक तो वेज सेटलमेंट हुआ नहीं है हमारा। नितेश मिश्रा ने कहा कि
सरकार को चाहिए था कि कोरोना लाभ 500 रुपए के जगह उन्हें इतने हीं मूल्य की खाद्य सामग्री उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवसथा की जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्योंकी इसमें उनका चेहरा नहीं आता बल्की राज्य सरकारें अपनी वाह वाही लुट ले जाती। इससे बचने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया और बात दिया गया की कोरोना लाभ 500 रुपए सीधे प्रधामंत्री जन धन खाताधारी महिला के खाते में आएगा। सरकार के एक गलत फैसले के कारण आज फिर से बैंकों के माध्यम से सोशल_डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती नजर आ रही है। क्योंकि लोग तो मानेंगे नहीं। सबको सबसे पहले अपने हिस्से का कोरोना लाभ 500 रुपए लेना है। और हम आर्थिक सिपाही बैंकर सरकार की नई योजना को
सफल बनाने में लगे हुए हैं ।

फ़ौलाद_की_औलाद_है_हम
आर्थिक_सिपाही_बैंकर्स_है_हम।

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