झारखंड में भाजपा का चुनावी वादा: ‘गोगो दीदी योजना’ एक और जुमला या वास्तविकता?

झारखंड में भाजपा का चुनावी वादा: ‘गोगो दीदी योजना’ एक और जुमला या वास्तविकता?

रांची, 27 सितंबर 2024 (राज्य ब्यूरो) – जैसे-जैसे झारखंड विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, भाजपा नए-नए चुनावी वादे कर रही है। हाल ही में भाजपा ने राज्य में सरकार बनने पर ‘गोगो दीदी योजना’ लागू करने की घोषणा की है।

इस योजना के तहत बेटी के जन्म पर मां और बेटी दोनों को सम्मान राशि दी जाएगी। हालांकि, यह योजना कितनी कारगर होगी और वादे कितने हकीकत में बदलेंगे, इस पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

क्या यह भी सिर्फ एक चुनावी जुमला है?

2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये आने का वादा किया था। उस समय यह वादा जनता के बीच उम्मीद की किरण बनकर आया था, लेकिन 10 साल बाद भी यह वादा पूरा नहीं हुआ। यह सिर्फ एक चुनावी जुमला बनकर रह गया। झारखंड की जनता अब उसी तरह से ‘गोगो दीदी योजना’ के बारे में सोचने लगी है।

राज्य की महिलाएं आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही हैं। ऐसे में यह योजना कितना असरदार साबित होगी, इस पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। भाजपा इसे ‘मंईया सम्मान योजना’ को टक्कर देने वाली योजना के रूप में पेश कर रही है, लेकिन कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सिर्फ चुनावी हथकंडा है।

शिवराज सिंह चौहान का झारखंड दौरा और भाजपा की खनिज संसाधनों पर नजर

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, जो व्यापम घोटाले में संलिप्त रहे हैं, इन दिनों झारखंड का दौरा कर रहे हैं। भाजपा लगातार जनता से नए-नए वादे कर रही है, लेकिन झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों पर भाजपा की नजर कोई नई बात नहीं है। झारखंड खनिज संपदाओं का धनी राज्य है, और राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि भाजपा इन संसाधनों को अपने करीबी उद्योगपतियों के हाथों में सौंपने की कोशिश कर रही है।

राज्य की जनता से किए जा रहे ये वादे कहीं न कहीं राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित नजर आते हैं। झारखंड की असली जरूरतें—स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार—इन चुनावी वादों की शोर में कहीं खोती जा रही हैं।

जनता का भरोसा और भविष्य का सवाल

पिछले 10 सालों में भाजपा के केंद्र सरकार के कार्यकाल में देश में बेरोजगारी और महंगाई बढ़ी है। किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हुए हैं और युवा वर्ग रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। ऐसे में भाजपा के इन नए वादों पर कितना भरोसा किया जाए, यह जनता को तय करना है।

हेमंत सोरेन की सरकार झारखंड में लगातार ऐसी योजनाएं लेकर आई है जो जनता के हित में काम कर रही हैं। चाहे वह महिलाओं, किसानों, या युवाओं के लिए हो, हेमंत सरकार की योजनाओं ने राज्य की बड़ी आबादी को लाभान्वित किया है।

मंईया सम्मान योजना, फूलो झानो आशीर्वाद योजना, और गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएं राज्य के लोगों के जीवन स्तर को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

इन योजनाओं के कारण हेमंत सरकार की छवि जनता के बीच एक “मसीहा” के रूप में बनी है। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में, जहां बुनियादी सुविधाएं और अवसरों की कमी रही है, हेमंत सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार जैसी समस्याओं को प्राथमिकता दी है।

अब भाजपा के लिए इन योजनाओं का काट निकालना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है। भाजपा चाहे जितने भी चुनावी वादे करे, जनता का भरोसा और समर्थन हेमंत सरकार के साथ बना हुआ है। भाजपा के वादों को लोग अब उसी नजर से नहीं देख रहे, जैसा पहले देखा जाता था, क्योंकि लोगों को एहसास हो गया है कि हेमंत सरकार ने जो वादे किए थे, वह वास्तविकता में बदल रहे हैं।

जनता अब ठोस परिणामों और जमीनी स्तर पर हुए बदलावों को देख रही है, और हेमंत सरकार की योजनाएं यह साबित कर रही हैं कि झारखंड में विकास का सही रास्ता क्या है।

आने वाले चुनावों में झारखंड की जनता को सोच-समझकर फैसला लेना होगा।

चुनावी वादों और जुमलों के बीच, असली विकास का सवाल सबसे महत्वपूर्ण है। भाजपा की सरकार ने पिछले कार्यकाल में देश का कितना भला किया, यह सवाल अब झारखंड की जनता के सामने है।

रिपोर्ट: अमान खान
संपादन: साजेब

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