दीपिका पांडे की नाम के ऐलान मात्र से ही अगले दिन बूथ स्तर के कार्यकर्ताओ का विरोध प्रदर्शन शुरू
रिपोर्ट: साजेब खान
Jharkhand/Godda
झारखंड की लगभग सभी सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशी का ऐलान हो चुका है,5 साल के इंतजार के बाद भी इन प्रत्याशी के नामों के ऐलान मात्रा से ही कांग्रेस के अंदर की मनुवादी सोच का प्रर्दशन हो चुका है,
ये बात अलग है की जिसकी जितनी संख्या उतनी उसकी भागीदारी की बात कर रही है लेकिन कांग्रेस के अंदर जमीनी स्तर पर स्थिति कुछ अलग ही नजर आ रही है।
बता दे के कांग्रेस ने बीते दिनों तीन लोकसभा क्षेत्र से अपने प्रत्याशियों का ऐलान किया जिसमे चतरा धनबाद और गोड्डा लोकसभा से प्रत्याशियों के नाम का ऐलान हुआ है, अगर इन तीनों नामों पर प्रकाश डाला जाए तो ये आसानी से समझ आने लगेगा की क्षेत्रीय स्तर पर प्रदेश कांग्रेस जनता को क्या मैसेज दे रही है।
कांग्रेस की कथनी और करनी में बेहद ज्यादा फर्क नजर आ रहा है, तीनों लोकसभा सीटों पर OBC की ज्यादा संख्या होने के बावजूद भी इन तीनों सीट पर पार्टी ने एक भी OBC को टिकट नहीं दिया इससे भाजपा को सीधा फायदा, और महागठबंधन के MY समीकरण को काफी हद तक नुकसान हो सकता है।
गोड्डा लोकसभा से दीपिका पांडे को निशीकांत के सामने खड़ा किया गया है,लेकिन दीपिका पांडेय की जमीनी हकीकत क्या है इससे शायद कांग्रेस आलाकमान वाकिफ नहीं है, पार्टी से अलग दीपिका का कोई जनाधार नही है,इस बात का अंदाजा उस बात से लगाया जा सकता है की दीपिका की नाम के ऐलान मात्र से ही अगले दिन बूथ स्तर के कार्यकर्ताओ का विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था लेकिन अब गोड्डा लोकसभा में महागठबंधन के साथी पार्टी के मुस्लिम और यादवों के नायक व कद्दावर नेता भी कांग्रेस के इस फैसले का विरोध कर रहे है।
पूर्व सांसद फुरकान अंसारी ने भी इसको लेकर आपत्ति जताई तो वही अब राजद के अन्दर भी इस फैसले को लेकर खासा नाराजगी नज़र आ रही है।
बता दे के गोड्डा के राजद से पूर्व विधायक संजय यादव ने भी इस फैसले पर आंखें मिंजने का काम किया है दीपिका को टिकट मिलने के फैसले से संजय यादव काफी नाराज़ दिखे है।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर पार्टी को नसीहत दे दी है,उन्होंने लिखा “आगामी लोकसभा चुनाव हेतु झारखंड के लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की घोषणा INDIA गठबंधन द्वारा कर दिया गया।
झारखंड में लोकसभा की कुल 14 सीटें हैं।बड़े आश्चर्य की बात है कि इनमे से एक भी सीट किसी यादव या मुस्लिम प्रत्याशी को नहीं दिया गया। जहां यादव मुस्लिम की बड़ी आबादी है।
वहां भी इन्हें नजरंदाज किया गया जैसे कि गोड्डा, कोडरमा एवं चतरा में INDIA गठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल को 2 सीटें दी जानी थीं। ऐसा होने पर चतरा से राजद किसी यादव उम्मीदवार को उतार सकती थी परंतु ऐसा हुआ नहीं।
चतरा से जिन्हें गठबंधन का प्रत्याशी बनाया गया है, वो किस आधार पर बनाया गया है ये समझ के परे है। गोड्डा तथा कोडरमा की ही भांति चतरा में यादव वोटर बहुत बड़ी संख्या में हैं परंतु उनकी अनदेखी हुईइ स निर्णय पर पुनर्विचार होना चाहिए।
OBC के हितों का नारा तो दिया जाता है परंतु होती अनदेखी ही है। यादव तथा मुस्लिम की अनदेखी सर्वाधिक हुई है। महागठबंधन के सभी बड़े नेता कहते हैं कि “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” परंतु इसका अनुपालन होता बिल्कुल भी नज़र नहीं आ रहा है।
झारखंड के चुनावी परिदृश्य में तो यह स्पष्ट रूप से दिखता है अभी भी समय है। मुझे लगता है गठबंधन के शीर्ष नेताओं को इस पर मंथन करना चाहिए एवं ऐसे उम्मीदवारों को लड़ाना चाहिए जो सीट निकाल सकें।
एक एक सीट बहुत ही महत्वपूर्ण है” दोस्तों संजय यादव ने अपना ये विरोध उसे समय जाते जब दीपिका को टिकट मिलने के बाद संथाल परगना समेत गोड्डा विधानसभा के सभी क्षेत्र के पंचायत स्तर तक कांग्रेस कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन व नाराजगी पार्टी के फैसले को लेकर देखने को मिला।
बता दें कि संजय यादव यादव एवं मुस्लिम समाज की एक कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते हैं ऐसे में संजय यादव का विरोध करना तो लाजमी था और संजय यादव ने विरोध भी किया तमाम जन आधार वाले नेताओं का जिस तरीके से विरोध देखने को मिल रहा है इससे कहीं ना कहीं इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है के पार्टी को अपने फैसले पर पूर्ण विचार करने के लिए दबाव बन रहा है।
बता दें की हाल के दिनों में संजय यादव की नजदीकी राजद की शीर्ष नेतृत्व यानी की तेजस्वी यादव के साथ देखने को मिली उन्हें हाल में ही कई मौकों पर तेजस्वी यादव के साथ मंच साझा करते हुए भी देखा गया है।
वही अंदर खाने से यह खबर भी कौतूहल का विषय बनी हुई है कि कांग्रेस आलाकमान जल्द ही झारखंड के सभी के सभी 14 लोकसभा सीटों को लेकर एक प्रशिक्षण बैठक कर सकती है, इसका मुख्य कारण यह है के जिस तरीके से बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं का विरोध देखने को मिल रहा है वह कांग्रेस को सीधा नुकसान तो पहुंचाएगा ही साथ ही साथ भाजपा के क्लीन स्वीप करने की संभावना भी बढ़ गई है।
बरहाल देखना दिलचस्प होगा की पार्टी आल्हा कमान किस तरह से इस विरोध पर काबू पाती है।