Sahibganj:सरकारी अधिकारी जिले में अवैध खनन रोकने में विफल: एनजीटी
सरकारी अधिकारी जिले में अवैध खनन रोकने में विफल: एनजीटी
——— राजमहल पहाड़ी को बचाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने 21 पन्नों का जारी किया आदेश
——- जारी आदेश के तहत अवैध खनन के मामले की ईड़ी करेंगे जांच
साहिबगंज: जिले की ऐतिहासिक राजमहल पहाड़ को बचाने को लेकर एनजीटी ने 21 पन्ने में आदेश पारित किया है। जिसमें एनजीटी ने राज्य सरकार के मशीनरी पर गंभीर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सरकारी पदाधिकारी जिले में चल रहे अवैध खनन व अवैध क्रशर इकाइयों को नियंत्रित करने में विफल रही है। जिसके चलते जिले में पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा है।
दरअसल राजमहल की पहाड़ी को बचाने की कवायद के तहत जिले के सामाजिक कार्यकर्ता सैयद अरशद नसर द्वारा दायर याचिका पर 23 अगस्त को एनजीटी के प्रधान बेंच नई दिल्ली में सुनवाई हुई। सुनवाई एनजीटी के प्रधान बेंच नई दिल्ली के चेयरपर्सन न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल, जुडीशियल मैंबर न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल व एक्सर्पट मैंबर प्रोफेसर ए.सेंथील वेल ने की।
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पूर्व में एनजीटी ने अपने आदेश का पालन नहीं होने पर जिले के डीसी, एसपी व डीएमओ पर दो- दो लाख का जुर्माना लगाते हुए पचास-पचास हजार रुपए का जमानतीय वारंट भी निर्गत किया था। पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिए जिले के 106 पत्थर कारोबारियो पर 6 करोड़ 33 लाख 57 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। अब तक सैंकड़ों स्टोन क्रशर ध्वस्त व सील हो चुका है।
वहीं दर्जनों खनन पट्टा का लीज भी रद्द हो चुका है। एनजीटी ने एक उच्चस्तरीय कमिटी भी गठित की थी, जिसने जिले का कई बार दौरा कर अपनी गोपनीय रिपोर्ट 843 पन्ने में एनजीटी में दाखिल की थी। एनजीटी के प्रधान बेंच नई दिल्ली ने 23 अगस्त की सुनवाई में सख्त आदेश पारित करते हुए निदेशक प्रवर्तन निदेशालय को मामला सौंप दिया। ईडी को समय-समय पर प्रगति रिपोर्ट एनजीटी को सौंपने का निर्देश दिया गया है।
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एनजीटी ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में निगरानी कमिटी गठित करे, जो वायु प्रदूषण दुर करने लिए कार्य योजना तैयार करे। प्रदुषणकारी गतिविधियों को बंद करवाएं। पर्यावरण बहाली के लिए पत्थर कारोबारियो से पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति वसूली करे। बीते कई वर्ष से प्रदुषण फैलाने वालों के लिए जवाबदेही तय करे। तय मानक पर खरा नहीं उतरने वाले सभी खनन पट्टा लीज को रद्द करे।
तय मानक के अनुसार नहीं चलने वाले सभी स्टोन क्रशर इकाइयों को पुरी तरह से जमींदोज करे। ध्वस्त करने के दौरान क्रशर मशीन, हापर, लोडर, डीजे सेट आदि को जप्त करने व प्राथमिकि दर्ज करने का भी आदेश पारित किया है। तय मानक के अनुसार खनिज की ढुलाई नहीं करने वाले गाड़ियों पर भी कड़ी कार्यवाही करे। निगारानी कमिटी को एक महीने के भीतर अपनी बैठक आयोजित करने का आदेश दिया गया है।
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कमिटी को अपनी रिपोर्ट सीधे एनजीटी में दाखिल करने का आदेश पारित किया है। एनजीटी ने अगली सुनवाई तिथि 10 जनवरी 2023 निर्धारित की है।