नाग पूजा की तैयारी जोरों पर
नाग पूजा की तैयारी जोरों पर
दुमका।
दुमका प्रखंड के नोनीहाट में प्रसिद्ध सुख जोरा नाग बाबा का वार्षिक पूजन समारोह 22 जून मंगलवार से शुरू हो रहा है इस पूजन को लेकर पंडार सजाए जा रहे हैं रोड के मोड़ के पास नागिन मंदिर में पूजा उत्सव की तैयारी की गई हैं।
मालूम हो कि नाग बाबा के प्रथम पूजन दिवस को पंडार के नाम से जाना जाता है। यह तो परंपरागत रूप से 15 दिनों तक पूजा उत्सव मनाया जाता है। पूजन उत्सव समापन के अगले दिन एक दिवसीय मेला आयोजित किया जाता है। उल्लेखनीय है कि नाग बाबा के प्रति लोगों में अटूट आस्था है। आज भी नाग बाबा के पंडार दिवस को भूमि खुदाई एवं हल जुताई नहीं किया जाता है। एवं पूरे 15 दिनों तक इस क्षेत्र में बलि बंद रहता है।
बताते चलें कि इस क्षेत्र के अनेकों गांव में नाग पूजन होते हैं पर एकमात्र सुखजोरा नाग धाम में अज्ञात धातु से निर्मित नाग बाबा के विग्रह की पूजन होती है। कहते हैं कि यह बीघा भूमि खुदाई में एक पहाड़िया को करीब सैकड़ों वर्ष पूर्व मिली थी जिससे वर्तमान पंडा राजेंद्र मांझी, रामजीवन मांझी, उपेंद्र मांझी, जयप्रकाश मांझी के पूर्वजों को प्राप्त हुआ था। तभी से वार्षिक पूजन की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। सुखजोरा नाग धाम लोक आस्था के प्रतीक है, इसकी प्रसिद्धि झारखंड बिहार बंगाल में व्यापक है, तथा देश के कोने-कोने से श्रद्धालु वार्षिक पूजन में मंडप में कीर्तन भजन के साथ पूजा अर्चना भी करते हैं। श्रद्धालु विशेषकर शाम पूजन में बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। तथा प्रसादी में भूरा चढ़ाते हैं, आज भी श्रद्धालु मानते हैं कि प्रथम पूजा दिवस पर शामिल होने पर पूरे 15 दिनों तक बाबा के दरबार में हाजिरी लगानी होगी।
**सुखजोरा धाम में विशेषकर मेला दिन बलि की प्रथा है। यह प्रथा वर्षों से चली आ रही है। वही श्रद्धालु जनेऊ,फुल,भूरा से भरे डलिया अर्पित कर कुशल मंगल की कामना करते हैं। बताते चलें कि इस क्षेत्र में लगने वाला सबसे बड़ी नाग पूजा होती है। इस पूजा उत्सव में शामिल होने के लिए दूर दराज से श्रद्धालु आते हैं। अपने मन्नतें मांगते हैं। एवं मन्नते पूरी भी होती है। इसलिए श्रद्धालुओं की बहुत ज्यादा भीड़ रहती है।**
रिपोर्ट:रमेश कुमार