जन वकालत एवं अभियान विषय पर प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित
गोड्डा।
स्वयंसेवी संस्था बदलाव फाउंडेशन द्वारा आरहो जोहार परियोजना अंतर्गत गुरुवार को सुंदरपहाड़ी प्रखंड अंतर्गत सिद्धू कानू आश्रम डोमडीह में जनजातीय अधिकार मंच के सदस्यों का ” जन वकालत एवं अभियान ” विषय पर प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित किया गया ।प्रशिक्षण में सुप्रीम कोट के आरटीएफ मामलों के पूर्व सलाहकार बलराम, नरेगा वॉच से जेम्स हेरेंज एवं अशर्फी नंद, प्रबल महतो ने सन्दर्भ सदस्य के रूप में भाग लिया ।
प्रशिक्षण में ग्रामीण तथा शहरी दोनों समाज में गरीबों का एक ऐसा तबका है जो अपने दैनिक जरूरतों के लिए हमेशा दिन रात मेहनत करते हैं। लेकिन इसके बाद भी गरिमामय जीवन जीने से मरहूम रहते हैं । जबकि भारतीय संविधान की धारा 21 प्रत्येक नागरिक को सम्मान पूर्वक जीवन जीने का अधिकार देता है।अभिवंचित वर्गों की न कोई राजनीतिक हस्तक्षेप की हैसियत होती है और न ही अपनी कोई सामूहिक ताकत, जिसकी बदौलत अपने संवैधानिक अधिकारों को हासिल कर सकें। सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं का नैतिक एवं संवैधानिक दायित्व है कि इन वंचित वर्गों की आवाज बनें और रोजमर्रा की गतिविधियों को ही जन वकालत कहते हैं।
साक्षय आधारित जनवकालत:
राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता जनता की समस्या को सामान्य ज्ञान के तौर पर उठाते हैं, जिस पर प्रशासनिक स्तर पर कानूनी कार्रवाई करना मुश्किल होता है। लेकिन जब एक सामाजिक कार्यकर्ता कोई बात कहता है या जनता की समस्या को उठाता है तब वह उस समस्या को संवैधानिक तथा मानवीय अधिकारों के साथ तुलना करता है। सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह बनाता है, समान समस्याओं से पीड़ित लोगों को संगठित करता है और विभिन्न लोकतांत्रिक तरीकों से समस्याओं के स्थाई समाधान के लिए जन दबाव बनाता है।जहां समस्याओं के समाधान में नीतियां बाधक होती है वहीं नीतियों में परिवर्तन के लिए लोगों को गोलबंद करने का काम करता है। देश में कई ऐसे कानून नीतियां बनी है, जिसे सामाजिक संगठनों ने मुद्दों के रूप में चिन्हित किया और बाद में राजनीतिक मुद्दे बने ।
वर्तमान संदर्भ में जन वकालत के टूल्स :
आज का दौर सूचना क्रांति का दौर है। देश और दुनिया में घट रही घटनाओं की सूचनाएं तत्काल लोगों तक पहुंच रही है ।सूचना माध्यमों पर खास वर्ग और पूंजीपति वर्ग हमेशा से अपनी प्रजा के लिए दिलो-दिमाग के लिए सिर्फ उन्हीं सूचनाओं को परोस रही हैं जिससे कि उनकी अधिकारिक समय तक बरकरार रहे। पूंजीपति वर्ग समूचे प्रजा को बाजार में झोंक देना चाहता है ।इस बाजारवाद और राजसत्ता से हमारा झारखंडी और आदिवासी समाज ऐतिहासिक कालों के साथ ही आज भी मुकाबला कर रहा है। लेकिन आज जरूरत इस बात की है कि सिर्फ परंपराओं से लड़ाई नहीं जीती जा सकती, बल्कि आपसी एकता के साथ ही संविधान में पदस्थ पांचवी अनुसूची सीएनटी,एसपीटी एक्ट, पेशा कानून आदिवासियों के पक्ष में न्यायालय के आदेश, सूचना का अधिकार कानून, मनरेगा कानून, वन अधिकार कानून जैसे हथियारों के व्याप्त समझ के साथ उनका उपयोग से ही अपना अधिकार प्राप्त किया जा सकता है ।
सामुदायिक स्तर पर समुदाय को और सामुदायिक अगुआ को जन वकालत के इन्हीं टूल्स को हासिल करने के तरीके जनहित में वेबसाइट में उपलब्ध सूचनाओं को इस्तेमाल करने के तरीके विभिन्न आवेदनों तथा शिकायतों को लिखने के तरीके आदि की जानकारी दी गई।
इससे सामुदायिक स्तर पर व्यापक जानकारियां बढ़ती हैं और सरकारी अधिकारियों की जवाबदेह बनाया जा सकता है।
प्रशिक्षण में जनजातीय अधिकार मंच के सदस्यो के अलावे जिला स्तरीय जनजातीय अधिकार मंच के सचिव शिव नारायण लोहरा, सकल मुर्मू, सुशीला देवी, निरंजन, समुयल, नारा पहाड़िया, जय प्रकाश शर्मा, निर्मला देवी इत्यादि के साथ परियोजना समन्यवक कृष्णा जी ने भाग भाग लिया।