*Lohardaga News:लोहरदगा.कृषि सुधार बिल के विरोध में लोहरदगा जिला कांग्रेस कमिटी द्वारा होटल पर्ल में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया*
लोहरदगा.कृषि सुधार बिल के विरोध में लोहरदगा जिला कांग्रेस कमिटी द्वारा होटल पर्ल में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। प्रेस वार्ता को प्रमुख रूप से प्रदेश प्रवक्ता आलोक दुबे एवं लाल किशोर नाथ शाहदेव ने संबोधित किया। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुवे आलोक दुबे ने कहा झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा संसद से पारित किए गए किसान विरोधी कानून का विरोध करने का निर्णय लिया है। मोदी सरकार ने तीन काले कानूनों कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य कानून, कृषि कीमत आश्वासन कानून, कृषि सेवा पर करार कानून के माध्यम से किसान खेत मजदूर छोटे दुकानदार मंडी मजदूर व कर्मचारियों की आजीविका पर एक क्रूर हमला बोला है। यह किसान खेत और खलिहान के खिलाफ एक घिनौना षड्यंत्र है। केंद्र की भाजपा सरकार 3 काले कानूनों के माध्यम से देश की हरित क्रांति को हराने की साजिश कर रही है। देश के अन्नदाता व भाग्यविधाता किसान खेत मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने का षड्यंत्र किया जा रहा है। आज देश भर में 62 करोड़ किसान मजदूर 250 से अधिक किसान संगठन इस काले कानून के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। अन्नदाता किसान की बात सुनना तो दूर सांसद में उनके नुमाइंदों की आवाज को दबाया जा रहा है। साथ ही सड़कों पर किसानो व मजदूरों को लाठियों से पीटवाया जा रहा है।
अगर अनाज मंडी, सब्जी मंडी व्यवस्था पूरी तरह से खत्म हो जाएगी तो कृषि उपज खरीद प्रणाली भी पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। ऐसे में किसानों को न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा और ना ही उनका विकास है संभव हो पाएगा। क्या एफसीआई 15 करोड़ किसानों के खेत से एमएसपी पर उनकी फसल की खरीद कर सकती है? अगर बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा किसान की फसल को एमएसपी पर खरीदने की गारंटी कौन देगा एमएसपी पर फसल न खरीदने से क्या सजा मिलेगी मोदी जी के पास इन सभी बातों का कोई जवाब नहीं है।
इसका जीता जागता उदाहरण भाजपा शासित बिहार है साल 2006 में एपीएमसी एक्ट यानी अनाज मंडियों को खत्म कर दिया गया आज बिहार के किसान की हालत बद से बदतर की ओर है किसान की फसल को दलाल औने-पौने दामों पर खरीद कर दूसरे प्रांतों की मंडियों में मुनाफा कमा कर भेज रहे हैं । अगर पूरे देश के कृषि उपज मंडी व्यवस्था ही खत्म हो गई तो इसे सबसे बड़ा नुकसान किसान खेत मजदूर को होगा, और सबसे बड़ा फायदा मुट्ठी भर पूजी पतियों को मिलेगा।
मोदी सरकार का दावा कि अब किसान अपनी फसल देश में कहीं भी भेज सकता है पूरी तरह से सफेद झूठ है। आज भी किसान अपनी फसल किसी भी प्रांत में ले जाकर बेच सकता है, परंतु वास्तविक सत्य क्या है कृषि सेंसर 2015-16 के मुताबिक देश का 86% किसान 5 एकड़ से कम भूमि का मालिक है जमीन की औसत मालिकाना 2 एकड़ या उससे कम है। ऐसे में 86% किसान अपनी उपज नजदीक अनाज मंडी, सब्जी मंडी के अलावा कहीं और ट्रांसफर नहीं ले जा सकता है या बेच सकता है। मंडी प्रणाली ना हो तो इसका सीधा प्रहार स्वाभाविक तौर से किसान पर होगा। मंडी खत्म होते ही अनाज सब्जी मंडी में कम करने वाले लाखों-करोड़ों मजदूरों आढ़तियों मुनीम धुलाई दार ट्रांसपोर्टरों सेलर आदि की रोजी रोटी और आजीविका अपने आप स्वता ही समाप्त हो जाएगी। प्रांत मार्केट फीस व ग्रामीण विकास खंड के माध्यम से ग्रामीण अंचल का ढांचागत विकास करते हैं। वह खेती को प्रोत्साहित करते लेते हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अध्यादेश के आने में मोदी सरकार असल में शांता कुमार कमेटी का रिपोर्ट लागू करना चाहती है ताकि एफसीआई के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ही न करनी पड़े और सालाना 80000 से एक लाख करोड़ की बचत हो इसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव खेत खलिहान पड़ेगा अध्यादेश के माध्यम से किसान को ठेका प्रथा में फंसा कर उसे अपनी ही जमीन में मजदूर बना दिया जाएगा। कृषि उत्पाद, खाने की चीजों एवं फल सब्जियों के स्टॉक लिमिट को पूरी तरह से हटाकर आखिरकार किसान को फायदा होगा नहीं उपभोक्ता को स्टॉक की सीमा ही खत्म हो जाएगी तो जमाखोरों और कालाबाजारी को उपभोक्ता को लूटने की पूरी आजादी होगी ।प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव इस कानून के खिलाफ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर दिनांक 26 सितंबर 2020 को स्पीक अप इंडिया के माध्यम से विरोध प्रदर्शन करेगी और ऑनलाइन फेसबुक के माध्यम से झारखंड के 5 से अधिक जुड़ेंगे 11:00 बजे से महात्मा गांधी की प्रतिमा बापू वाटिका से पदयात्रा प्रारंभ होकर महामहिम राज्यपाल को समर्पित किया जाएगा ।