देव तुल्य बरगद के पेड़ लगाने में मुख्य रूप से देवघर विभाग के विभाग प्रचारक कुणाल कुमार, विभाग सह कार्यवाह अरूण झा, विभाग शारीरिक प्रमुख रमेश राउत जी, ज़िला कार्यवाह प्रमोद कुमार यादव जी मुख्य रूप से उपस्थित रहे। इन सभी के देखरेख में बृक्षारोपन कार्यक्रम किया गया। हमारे हिंदु समाज में हमारे पूर्वजों के द्वारा बरगद बृक्ष को कई सो वषों से पुजते आ रहे हैं। वैसे तो हर पेड़ का अपना एक अलग महत्त्व है, लेकिन यह पेड़ कुछ अलग है। वजह यह है कि यह पेड़ लंबे समय तक टिका रहता है। सूखा और पतझड़ आने पर भी यह हरा-भरा बना रहता है और सदैव बढ़ता रहता है। यही कारण है कि इसे राष्ट्रीय वृक्ष का दर्जा प्राप्त है। धार्मिक तौर पर तो यह पूजनीय है ही, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अपने औषधीय गुणों के कारण यह कई शारीरिक समस्याओं को दूर करने में भी कारगर साबित होता है। बरगद के पेड़ के सभी भागों (जड़, तना, पत्तियां, फल और छाल) को औषधीय उपयोग में लाया जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट (सूजन घटाने वाला) और एंटी-माइक्रोबियल (बैक्टीरिया को नष्ट करने वाला) प्रभाव के कारण इसे दांतों में सड़न और मसूड़ों में सूजन की समस्या को कम करने में सहायक माना गया है। इसकी जड़ को चबाकर नरम करने के बाद मंजन की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। औषधिय गुणों के साथ साथ बरगद और पीपल के पेड हमें ढंडी एवं शीतल हवा के साथ शीतल छाया प्रदान करती हैं। कई पेडों के लगने से हमारे पर्यावरण पर भी गहरा असर पड़ता है।जिससे हमारा पर्यावरण शुद्ध होता है।कार्यक्रम को सफल बनाने में समाजसेवी शेखर सुमन जी, ज़िला सेवा प्रमुख कपिलदेव गण जी, खंड कार्यवाह जगजीत कुमार जी, आशीष जी, मनोज जी, मुकेश जी, बिक्रम जी, महाभारत जी, राजर्ऋषि जी, राकेश जी, पप्पु जी, संतोष जी, राजेश जी, प्रफुल जी, गोपाल जी, कैलाश जी, संजय जी, अशोक जी, मोतिलाल जी एंव अन्य स्वंय सेवक मौजूद थे।