निशिकांत दुबे की संथाल परगना को अलग राज्य बनाने की मांग पर कांग्रेस का तीखा हमला, प्रदीप यादव ने बताया “झारखंड विरोधी साजिश”

निशिकांत दुबे की संथाल परगना को अलग राज्य बनाने की मांग पर कांग्रेस का तीखा हमला, प्रदीप यादव ने बताया “झारखंड विरोधी साजिश”

रांची, 12 मार्च: भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा संसद में झारखंड के संथाल परगना को अलग राज्य बनाने और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे “झारखंड को तोड़ने की साजिश” करार दिया।

 

प्रदीप यादव ने कहा, “झारखंड राज्य का गठन हजारों शहीदों के संघर्ष और बलिदान का परिणाम है। भाजपा नेता झारखंड की एकता को तोड़ने और सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं। लेकिन झारखंड की जनता भाजपा की इस साजिश को सफल नहीं होने देगी।”

भाजपा की “विभाजनकारी राजनीति” का नया उदाहरण?

झारखंड को अलग राज्य बनाने के पीछे वर्षों का लंबा संघर्ष और आदिवासी नेताओं का बलिदान रहा है। 2000 में जब झारखंड बना, तब से ही भाजपा की नजर इस राज्य की राजनीतिक और प्राकृतिक संसाधनों पर रही है। लेकिन जब झारखंड की जनता ने भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया, तो अब वह संथाल परगना को अलग करने की नई चाल चल रही है।

प्रदीप यादव ने आगे कहा, “निशिकांत दुबे जैसे नेता झारखंड के मूल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं। लेकिन यह उनकी झारखंड विरोधी मानसिकता को उजागर करता है।”

झारखंड की जनता सतर्क रहे

झारखंड की जनता पहले भी भाजपा की इस तरह की नीतियों को नकार चुकी है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने साफ कर दिया है कि वे झारखंड की अखंडता के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे।

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर एकजुट होकर भाजपा को घेरने की रणनीति बनाई है। झामुमो के प्रवक्ता ने कहा, “निशिकांत दुबे का यह बयान भाजपा की झारखंड विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। वे चाहते हैं कि झारखंड फिर से अशांत हो जाए, लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे।”

झारखंड की जनता ने भाजपा की विभाजनकारी राजनीति को पहले भी नकारा है और इस बार भी इस “झारखंड तोड़ो अभियान” को सफल नहीं होने देगी। प्रदीप यादव समेत अन्य नेताओं ने निशिकांत दुबे से बयान वापस लेने और झारखंड की जनता से माफी मांगने की मांग की है।

क्या भाजपा इस बयान से किनारा करेगी?

अब देखना होगा कि भाजपा नेतृत्व निशिकांत दुबे के बयान पर क्या रुख अपनाता है। क्या भाजपा इसे उनका व्यक्तिगत मत बताएगी या फिर पार्टी इस बयान के समर्थन में खड़ी होगी? झारखंड की राजनीति में यह मुद्दा बड़ा विवाद खड़ा कर सकता है।

रिपोर्ट: अमान खान

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