ड्यूटी पर मौत: ठेका मजदूर की सांसें थमीं, मुआवजे की गुहार से ठप हुई कोयला ढुलाई

ड्यूटी पर मौत: ठेका मजदूर की सांसें थमीं, मुआवजे की गुहार से ठप हुई कोयला ढुलाई

Death on duty: Contract labourer breathed his last, coal transportation halted due to plea for compensation

ललमटिया (गोड्डा): कोयला ढुलाई की धमक के बीच शनिवार की सुबह एक मजदूर की जिंदगी की गूंज थम गई।

ललमटिया खदान से एनटीपीसी फरक्का तक कोयला ढोने वाली एमजीआर रेललाइन पर ड्यूटी कर रहे ठेका मजदूर जोके मुर्मू (50) की ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई।

बागजोरी रेलवे फाटक पर जेनरल शिफ्ट में तैनात जोके मुर्मू अचानक बेहोश होकर गिर पड़े। परिजन ने अस्पताल ले जाने की कोशिश की, लेकिन तब तक उनकी सांसें साथ छोड़ चुकी थीं।

 

शव के साथ प्रदर्शन, ठप हुई कोयला ढुलाई

जोके मुर्मू की मौत के बाद गुस्साए ग्रामीण और परिजन मुआवजे की मांग को लेकर शव के साथ राजमहल परियोजना के सेलो प्वाइंट पहुंचे।

आक्रोशित लोगों ने शव को फरक्का-एमजीआर रेल लाइन पर रख दिया, जिससे कोयला ढुलाई ठप हो गई। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि मृतक के परिजनों को मुआवजा दिया जाए और परिवार के एक सदस्य को नौकरी मिले।

 

प्रशासन और कंपनी की चुप्पी पर सवाल

मजदूरों की इस दर्दनाक मौत के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि ठेका मजदूरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी कौन लेगा? समाचार लिखे जाने तक न तो एनटीपीसी और न ही ईसीएल का कोई अधिकारी वार्ता के लिए घटनास्थल पर पहुंचा था। गुस्साए ग्रामीणों का कहना है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।

 

क्या ठेका मजदूरों की जिंदगी इतनी सस्ती?

जोके मुर्मू की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि ठेका मजदूरों की दयनीय स्थिति को उजागर करती है। रोज़ पेट की आग बुझाने के लिए ये मजदूर जोखिम उठाते हैं, लेकिन सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर इन्हें ठगा जाता है। यह सवाल अब उठ खड़ा हुआ है कि क्या इनकी ज़िंदगी सिर्फ कोयला ढोने के लिए है या फिर इन्हें भी इंसानी हक मिलने चाहिए?

 

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