भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक करमा पर्व धूमधाम से मनाया गया
भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक करमा पर्व धूमधाम से मनाया गया
जरमुंडी प्रखंड के नोनीहाट और आस-पास के गांवों में शनिवार को करमा पर्व परंपरागत तरीके से धूमधाम से मनाया गया।
यह पर्व झारखंड के आदिवासी और मूलवासी समुदायों की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
हर साल भादो मास की एकादशी को मनाया जाने वाला यह पर्व आदिवासी परंपरा में खास महत्व रखता है।
इस दिन आदिवासी समाज के लोग करम देवता की पूजा करते हैं और पारंपरिक वेशभूषा में लोक नृत्य करते हैं।
खासकर महिलाएं सफेद साड़ी और लाल पाड़ में सज-धजकर करम वृक्ष की डाली की पूजा करती हैं।
पूजा के दौरान जावा का विशेष महत्व होता है, जिसे विभिन्न अनाजों से तैयार किया जाता है और प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
करमा पर्व का आदिवासी समाज में इतना महत्व है कि इसके बाद ही शादी और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
करमा और धरमा नाम के दो भाइयों की लोककथा इस पर्व से जुड़ी है, जो करम पूजा के महत्व को समझाती है।
यह पर्व गांव में खुशहाली लाने और भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए मनाया जाता है।