जलापूर्ति योजनाओं की हालत बदतर, बूंद-बूंद के लिए तरस रहे है डेलीपाथर गांव के लोग
जलापूर्ति योजनाओं की हालत बदतर, बूंद-बूंद के लिए तरस रहे है डेलीपाथर गांव के लोग
रामगढ़: डेलीपत्थर गांव में लाखों की लागत से बनाई गई पेयजल टंकी आज तक ग्रामीणों की प्यास नहीं बुझा पा रही है।
रामगढ़ प्रखंड के भालसुमर पंचायत के अंतर्गत आने वाले इस गांव में पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए वर्ष 2016 में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा 51.14 लाख रुपये की लागत से 45,000 लीटर क्षमता वाली पेयजल टंकी का निर्माण किया गया था।
लेकिन आठ साल बाद भी टंकी चालू नहीं हो सकी है, और ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि टंकी निर्माण में भारी अनियमितता हुई है।
उनका कहना है कि टंकी से जुड़ी मोटर बिचौलियों द्वारा खोल कर ले जाई गई, जिससे टंकी आज तक चालू नहीं हो पाई।
ग्रामीणों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि टंकी के निर्माण के समय जल्द से जल्द जलापूर्ति शुरू करने का वादा किया गया था, लेकिन आठ साल बीतने के बाद भी उन्हें केवल इंतजार ही मिला है।
ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए जनप्रतिनिधियों और संबंधित विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
उनका कहना है कि क्षेत्र में जितने भी जल मीनार लगाए गए हैं, उनमें से आधे से अधिक खराब पड़े हुए हैं, जिससे गांव के लोग तालाब, जोरिया, पोखरा और चापाकल के पानी पर निर्भर हैं।
इस विरोध प्रदर्शन में मुख्य रूप से उपमुखिया प्रदीप राय, ब्रह्मदेव कुमार, प्रेमरंजन मांझी, दिनेश मांझी, शंकर दरवे, रोशन लायक, जयसिंह मांझी, भास्कर दर्वे, प्रदीप मांझी, शिवशंकर मिर्धा, राजेंद्र मांझी, सुंदरमोहन मांझी,
विजय मांझी, गणेश लायक, प्रदीप लायक, शूलेशन मांझी, विकास राउत, छोटेलाल साह, प्रवीण कुमार गुप्ता, जलधर मांझी, जीवन मांझी, धर्मेंद्र मिर्धा, रूपेश राय और रंजीत मांझी शामिल रहे।
ग्रामीणों ने मांग की है कि जल्द से जल्द पेयजल टंकी को चालू किया जाए ताकि उनकी पेयजल की समस्या का समाधान हो सके।
नोनीहाट से रमेश कुमार की रिपोर्ट