धूमधाम से मना प्राकृतिक पर्व करमा
धूमधाम से मना प्राकृतिक पर्व करमा
दुमका।
जरमुंडी प्रखंड के नोनीहाट तथा आस-पास के गांव में परंपरागत तरीके से करमा पर्व मनाया गया। कर्मा पर्व झारखंड का दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक पर्व है ।
करमा पर्व भाद्र मास के एकादशी तिथि को मनाया जाता है। लोक परंपरा के अनुसार भद्रा माह जब प्रवेश करता है तो करमा पर्व का माहौल बन जाता है ।
कुंवारी लड़कियां तो घर पर रहकर करमा पर्व बड़े आनंद के साथ मनाती है लेकिन इस बीच नव विवाहितोओ को विशेष तौर पर अपने नैहर का याद आने लगती है इस दौरान उन्हें आज होती है कि अब उनके भाई या पिता लेने के लिए अवश्य आएंगे सुबह-सुबह गए जाने वाली गीत अलग होती है।
वही शाम के पहर में गाााएंए जाने वाले गीत अलग होती है।सभी को अलग-अलग राग में गया जाता है।
जब यूटिया इन गीतों को गाते हुए पारंपरिक नृत्य करती है तो वह लोगो के लिए आकर्षण का केंद्र होता है। ऐसे तो कर्मा त्यौहार प्रकृति का पूजा है।
लेकिन इसे भाई बहन का प्यार के प्रति रूप में मनाया जाता हैइस दौरान बहनो ने उपवास रखकर संध्या में अपने भाई के साथ पति की भी मंगलकामना के लिए गौरी-गणेश की पूजा की जाती है।
इस संबंध में पंडित दिनेश झा ने बताया कि यह पर्व सभी बहनें अपने भाई के साथ पति की भी लंबी आयु के लिए करती है। दिनभर उपवास कर शाम में करमा पेड़ के डाल को घर के आंगन में रखकर पूरी रात पूजा अर्चना करती है।
पूजा अर्चना के दौरान बहनें ने अपने भाई के साथ पति की भी लंबी उम्र के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी से विनती करती है।
पूजा के दूसरे दिन सुबह करमा के डाल को नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। युवतियां कहीं झुमर तो कहीं शिव पार्वती की गीत गा वातावरण को सुरभित बना दिया। पर्व को लेकर नोनीहाट बाजार के कपड़ा और फलों की दुकानों पर काफी भीड़-भाड़ देखी गई।
इस प्रकार से करमा पर्व को नोनीहाट तथा आस-पास के ग्रामीण इलाकों में पर्व काफी उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया |
समाचार आज तक से नोनीहाट रमेश कुमार की रिपोर्ट