आलाकमान का दुलारा…!
By Md Shahzeb Khan
झारखंड प्रदेश में दो कद्दावर नेता एक बार फिर चर्चा के बिंदु बने हुए है, एक तरफ जहां भाजपा ने बाबूलाल मरांडी मरांडी को झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बनाकर अपना रुख साफ कर दिया…!भाजपा अब पूरे जोर में झारखंड में संगठन मजबूती पर काम करेगी…!
लेकिन जब बात संगठन को मजबूत बनाने की आती है तो झारखंड में प्रदीप यादव के नाम को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता, बाबूलाल ने जिस पायदान पर कदम रख कर झारखंड का ताज अपने माथे पर सजाया था उस पायदान को कड़ी दर कड़ी सींचने में प्रदीप यादव का हाथ शामिल है…! हां वो बात और है की प्रदीप यादव अपनी इसी भौकाली छवि के कारण झारखंड की राजनीति में दरकिनार कर दिए गए थे…! क्योंकि अन्य नेताओं को प्रदीप यादव की छवि के आगे बौना लगना हरगिज भी बर्दाश्त नहीं था…!
लेकिन प्रदीप यादव की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर इन दिनों कौतूहल का विषय बनी हुई है… इस तस्वीर में प्रदीप यादव राहुल गांधी के साथ नजर आ रहे है प्रदीप यादव ने इस तस्वीर को अपने सोशल मीडिया पर शेयर कर लिखा है की राहुल गांधी से उनकी ये शिष्टाचार मुलाकात है… जिसमे उन्होंने राज्य के मौजूदा राजनीति, संगठन की मजबूती, आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनाव को लेकर संगठन की तैयारी एवं अन्य मामलों पर करीब आधे घण्टे तक राहुल गांधी से विस्तृत चर्चा की।
प्रदीप यादव ने शायद इस तस्वीर को शेयर कर बिन बोले ही गोड्डा के पूर्व विधायक संजय यादव के बीते दिनों दिए गए बयान पर पलटवार कर दिया है… जिसमे संजय यादव गोड्डा लोकसभा समेत पोर्रैयाहाट विधानसभा से भी प्रदीप यादव के हस्तक्षेप को धुंधला कर देने की बात कही है…!
प्रदीप यादव ने इस तस्वीर को शेयर कर और भी कई कांग्रेसी कद्दावरों के आवाज यंत्र को गूंगा कर दिया है…!
दरअसल प्रदीप यादव पर आए दिनों लगातार ED और IT के छापे पड़ रहे थे हालांकि हाथ तो कुछ भी नही लगता था… मगर छानबीन दिन भर होती थी… प्रदीप यादव ने पिछले विधानसभा चुनाव में JVM से जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस का दामन थाम लिया था… प्रदीप यादव जब से कांग्रेस में शामिल हुए तब से गोड्डा लोकसभा समेत दुमका और अन्य जगहों पर जाकर प्रदीप यादव ने संगठन को मजबूत करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी है… प्रदीप यादव ने कृषि कानून का विरोध करते हुए एक महारैली निकाली थी… जिसमे 3000 से अधिक ट्रैक्टर शामिल थे… वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के नजरों के सामने देवघर में 500 से अधिक लोगों ने प्रदीप यादव के नेतृत्व में कांग्रेस का दामन थामा था…! अब भला ऐसी छवि वाले नेता को कांग्रेस 2024 में जिम्मेदारी क्यों न दे? और वो भी उस वक्त जब प्रदीप यादव के राजनीतिक बंधु और फिलहाल प्रतिद्वंदी बाबूलाल मरांडी को भाजपा ने झारखंड प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी है…! ऐसे मे प्रदीप यादव की राहुल से ये मुलाकात बेहद खास मानी जा रही है… वहीं भाजपा के दोहरे राजनीतिक चरित्र का पर्दाफाश उस वक्त ही हो गया… जब मध्य प्रदेश के सीधी की घटना सामने आई जिसमे कथित तौर पर भाजपा नेता ने एक आदिवासी के ऊपर पेशाब कर उसे जलील किया… भले ही झारखंड में आदिवासियों को मोहने की बेजार कोशिश में भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को राज्य की कमान सौंपी है लेकिन झारखंडी मूलाधिकार वासी अब इतने भोले भी नही की भाजपा के बिछाए राजनितिक बिसात में फंस जाए…!
लेकिन झारखंड के गोड्डा प्रदेश के हालिया राजनितिक हालात बहुत कुछ बयान करते हैं, राजद पूर्व विधायक संजय यादव अचानक प्रदीप यादव के विरोधी बन गए हैं… हालांकि संजय यादव की भी एक काफी मजबूत राजनितिक छवि रही है…!
जहां शांतिपूर्ण महागठबंधन के नेतृत्व में चुनाव हो जाया कर रहे थे वहां अब दो लेफ्ट विंग की राजनितिक पार्टियों के नेताओ के तेवर सांतवे फलक पर नजर आ रहे है…! कईं राजनितिक चाणक्यों ने ये दावा किया है की गोड्डा लोकसभा में अगर निशिकांत की जमीन को कोई हिला सकता है तो वो प्रदीप यादव है…! बता दे के बीते लोकसभा चुनाव में प्रदीप यादव को महागठबंधन की तरफ से प्रत्यासी बना गया था श्री यादव ने JVM के चिन्ह पर चुनाव लड़ा था और मात्र कुछ ही वोटों से पीछे छूट गए थे… अब ऐसे में इस बार ये उम्मीद लगाई जा रही है की अगर कांग्रेस के चेहरे पर प्रदीप यादव चुनाव लड़ते है तो शायद इस बार निशिकांत डूबे को गोड्डा लोकसभा में हार का चेहरा देखना पड़ेगा…! अब ऐसे में प्रदीप यादव के लिए उनके गठबंधन साथी का ही इस तरह विरोध करना एक बड़ा नुकसान साबित हो सकता है…! सवाल ये है की आखिर क्यों संजय यादव ऐसा कर रहे है? इसके पीछे दो कारण मुख्य रूप से हो सकते है जिसमे से पहला ये है की सांसद निशिकांत डूबे के बेहद करीबी मैजिकल व्यापारी संतोष सिंह से संजय यादव की दोस्ती भी काफी मशहूर है, कईं तस्वीरें भी साथ में दोनो की ऐसी हैं जो इनकी दोस्ती की गहराई को दर्शाती है… ऐसे में सवाल उठता है की क्या ये उनकी दोस्ती की खनक तो नही जो अचानक 2024 के चुनाव से पहले जाग गई है…! दूसरी बात ये के संजय यादव के खुद के भाई भाजपा के विधायक है…! बस यही कुछ बाते मेरे और आप जैसे लोगों को असमंजस में डाल देती है…! हां एक कारण ये भी निश्चित हो सकता है की संजय यादव भी अपने हाथ को एक बार बड़े मैदान में आजमाना चाहते है…! लेकिन अगर सच में तरीका यही है तब तो फैसला आलाकमान पटना और आलाकमान दिल्ली की वार्तालाप में ही तय होगा…! हां वो एक पंचतंत्र कहानी तो आपने सुनी होगी की बंदर बंदर की लड़ाई में बिल्ली को होता है फायदा…!