Jharkhand News:चेन लॉक से ज्यादा लोग लगा रहें है अपने वाहनों में जीपीएस
चेन लॉक से ज्यादा लोग लगा रहें है अपने वाहनों में जीपीएस
रांची।
शहर में वाहन चोरी की लगातार बढ़ती घटनाओं के बीच दोपहिया वाहनों में जीपीएस ट्रैकिंग लगाने का प्रचलन बढ़ा है. यह इसलिए हो रहा है, क्योंकि यदि वाहन चोरी हो जाता है तो इस बात का पता चल जाएगा कि उस वाहन को कहां ले जाया गया है।
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उसका पीछा कर पुलिस उसे पकड़ सकती है. लिहाजा अब जो नई गाड़ियां खरीदी जा रही हैं, उन वाहनों के मालिक को ऑफर दिया जा रहा है कि वह अपने वाहन में जीपीएस लगाएं।
इसके साथ ही पुरानी बाइक में भी जीपीएस ट्रैकिंग की सुविधा लोग हासिल कर रहे हैं. इसके लिए अलग-अलग कंपनियों द्वारा विभिन्न प्रकार के उपकरण भी लाए गए हैं. इनमें 3000 से लेकर 7000 रुपये तक की जीपीएस ट्रैकिंग की सुविधा उपलब्ध है।
ऐसे होता है काम जिस वाहन में जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लगा होता है. उसको कोई टच करेगा तो फोन पर तुरंत जानकारी मिल जाएगी. यह एक जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस सिम कार्ड की मदद से चलता है।
कार या बाइक की बैटरी से कनेक्ट कर इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन से होता है. इससे व्हीकल के लोकेशन को ट्रैक कर सकते हैं।
पूरे कोल्हान प्रमंडल में एक महीने में 1800 बाइक बिकीं, जबकि 400 में जीपीएस ट्रैकर लगाए गए हैं. पहले सबसे ज्यादा उन वाहनों में जीपीएस ट्रैकर लगाया जाता है, जो कीमती दोपहिया वाहन हैं।
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पुलिस ने भी अपने सभी पेट्रोलिंग वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाया है, जिससे कि पेट्रोलिंग की ट्रैकिंग होती है. जमशेदपुर में दोपहिया वाहन चोरी अधिक होती है।
जिले में प्रति माह औसतन 600 वाहनों की चोरी होती है. इसलिए शहरी इलाके में इस तरह के उपकरण अधिक कारगर हो सकते हैं. इसमें वाहन मालिक को इस बात का पता चल जाएगा कि उसके वाहन को लेकर चोर कहां जा रहा है.