Godda News:207 वी जयंती पर याद किए गए चानकु महतो
_207 वी जयंती पर याद किए गए चानकु महतो
_चानकु महतो स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख योद्धा-अमित
_चानकु महतो जैसे राष्ट्रभक्त का देश हमेशा ॠणी रहेगा- संजीव
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गोड्डा
गुरुवार को रंगमटिया स्थित स्मारक स्थल पर हूल क्रांतिवीर चानकु महतो का 207 वां जयंती समारोह में गोड्डा विधायक अमित कुमार मंडल ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि हूल को भारत आजादी की लड़ाई का सबसे संगठित हथियार बंद युद्ध के रूप में जाना जाता है। इसलिए हूल के नेतृत्वकर्ताओं में सुमार चानकु महतो जैसे वीर शहीद के जयंती और शहादत पर शामिल होना अंतर्मन को शांति प्रदान करता है। हम सबको मिलकर शहीदों के सपनों का राज स्थापित करना होगा।
मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चानकु महतो हूल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष संजीव कुमार महतो ने कहा कि हूल आंदोलनकारी अमर शहीद चानकु महतो और तमाम देश भक्त जो अपने जिम्मेदारी निभाते हुए देश के खातिर फांसी पर चढ़ गये।
मौके पर अतिथि दिनेश कुमार महतो अध्यक्ष कुड़मि विकास मोर्चा ने कहा कि चानकु महतो एवं तमाम नेतृत्वकर्ताओं ने सिदो मुर्मू के नेतृत्व में सशस्त्र हूल आंदोलन कर अंग्रेजी हुकूमत के गोली बारुद का जवाब तीर धनुष भाला टांगा बरछा से देकर भारत छोड़ने पर मजबुर कर दिया। आजादी इनकी ही दैन है।
उपरोक्त बातें आज चानकु महतो हूल फाउंडेशन द्वारा आयोजित चानकु महतो के 207 वीं जयंती समारोह में वक्ताओं ने कहा। चानकु महतो के जन्म स्थली रंगमटिया में निर्मित चानकु महतो स्मारक स्थल पर आयोजित इस कार्यक्रम में फाउंडेशन के निदेशक किशोर कुमार महतो व विधायक निजी सचिव विजय श्री के अलावा प्रमुख रूप से सविता नंदन, कुंदन कुमार महतो,सौरभ कुमार जुगनू, विवेक कुमार महतो, गौतम महतो, दशरथ महतो, रघुवंश महतो, शांति महतो,प्रेमलता महतो, किशोर महतो, भजनलाल महतो, लालजी महतो, दशरथ महतो, मनीष महतो, टुनटुन महतो समेत सैकड़ों महिला पुरुष बच्चे उपस्थित हुए।
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बताते चलें कि चानकू महतो का जन्म 09 फरवरी 1816 को रंगमटिया गाँव (गोड्डा जिला) में हुआ था । इनके पिता का नाम कारू महतो उर्फ कालू महतो और माता का नाम बड़की माहताइन था । चानकू महतो ने संथाल हुल (1855-56) में सिद्धू-कान्हू को नेतृत्वकर्ता मानते हुए, विद्रोह का समर्थन कियें थें ।
30 जून 1855 ई. को भगनीड़ीह (संथाल परगना जिलान्तर्गत राजमहल सबडिवीजन के दामीन इलाकों के मध्य बाराहाइत/बड़हैत के समीप स्थित मुर्मू बंधुओं का गाँव में 400 गाँवों के करीब 60 हजार संथाल, कुड़मि व अन्य आदिवासियों समेत स्थानीय लोग एकत्र हुए और हुल-हुल के एक स्वर से सशस्त्र विद्रोह का निर्णय लिया ।
इस सभा में सिद्धू को राजा, कान्हू को मंत्री, चाँद को प्रशासक तथा भैरव को सेनापति चुना गया।चालो जुलाहा, रामा गोप, राजवीर सिंह, बैजल बाबा, भागीरथ मांझी, बलुआ महतो आदि इनके प्रमुख साथी थे।
चानकू महतो का नारा था :-आपोन माटी, आपोन दाना,पेट काटी नाँय देब खजाना..! चानकू महतो को 15 मई 1856 ई को अंग्रेज़ों द्वारा सरेआम राजकचहरी के बगल में कझिया नदी के किनारे एक पेड़ पर फाँसी लटका कर मार दिए गए ।