Dumka:ईद मिलाद उन नबी के ऐतिहासिक पर्व को लेकर नोनीहाट में मुस्लिम समुदाय वर्ग ने निकाला जुलूस
ईद मिलाद उन नबी के ऐतिहासिक पर्व को लेकर नोनीहाट में मुस्लिम समुदाय वर्ग ने निकाला जुलूस
Dumka: Muslim community took out procession in Nonihat for the historic festival of Eid Milad Un Nabi
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दुमका।
हंसडीहा थाना क्षेत्र नोनीहाट ग्राम में ईद मिलाद उन नबी 9 अक्टूबर 2022 दिन रविवार को मनाया गया, भारत के सभी मुसलमान काफी जोर-शोर और पूरे एहतराम के साथ यह त्यौहार मनाते हैं। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार तीसरे महीने मिलाद उन नबी के शुरुआत हो जाती है।
इनके 12वे दिन यह त्यौहार मनाया जाता है। इस पर्व को ईद ए मिलाद या बारावफात के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि 12 रबी उलअव्वल की तारीख में होने वाला यह त्योहार मुस्लिम समुदाय के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण रखने वाला है।
ईद मुस्लिम उन नबी का त्यौहार दुनिया भर में विशेष रूप से मनाया जाता है, पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के रूप में इन दिन उनके सम्मान के जुलूस निकाला जाता है। यह जुलूस आज नोनीहाट जामा मस्जिद से निकलकर नोनीहाट के काफी गली मोहल्ले घूमते हुए डॉ चंदन साहब बाबा मजार जाकर पहुंची और वहां से सभी ने दुवाएं कि और साथ फिर वहां से निकलकर नोनीहाट बस स्टैंड के पास पहुंच कर वहां फतिया पढ़ा गया।
बताते चलें की इस अवसर पर जगह-जगह बड़े आयोजन भी किया जाते हैं मस्जिद और दरगाह के साथ-साथ लोग अपने घरों में इसको पूरे अकीदत के साथ मनाते हैं। इस्लाम को मानने वाले लोग इस दिन लंगर करते हैं। साथ हि जरूरतमंदों को गिफ्ट देते हैं। इसके अलावा उनके लिए खाने-पीने का पूरा इंतजाम करते हैं।
यह त्यौहार पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है इस दिन रात भर अल्लाह की इबादत की जाती है। इस दिन घरों और मस्जिद में कुरान पढ़ा जाता है। इस मौके पर घर और मस्जिद की को सजाया जाता है और मोहम्मद साहब के संदेशों को पढ़ा जाता है।
हजरत मोहम्मद साहब का एक भी संदेश है कि मानवता को मानने वाले ही महान होता है। इसलिए हमेशा मानवता की राह पर चलना चाहिए। ऐसे में लोग इस दिन गरीब में दान करते हैं। ऐसे मान्यता है कि ईद मिलाद उन नबी के दिन दान और जाकत करने से अल्लाह खुश होते हैं। पैगंबर मोहम्मद का जन्म अकबर के शहर मक्का में 12 तारीख को 571 ईसवी में हुआ था। पैगंबर साहब के जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो गया था और जब वह 6 वर्ष के थे तो उनकी मां की भी मृत्यु हो गई थी।
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पिता और मां के निधन के बाद पैगंबर मोहम्मद अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबूमुतालिब के साथ रहने लगे ऐसा कहा जाता है कि अल्लाह ने सबसे पहले पैगंबर हजरत मोहम्मद को की पवित्र कुरान अदा की थी। जिसके बाद पैगंबर साहब ने पवित्र कुरान का संदेश दुनिया के कोने कोने तक पहुंचाया। पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन पर उन्हें याद करते हुए जुलूस भी निकालते हैं।
मौके पर नोनीहाट का इमाम मौलाना गुल फराज राजा, आलम खान, मुमताज खान, इकबाल खान ,अख्तर खान, हारुण खान ,लालू खान, जमील खान ,मकसूद खान, नाइस खान, बदरुल खान, समसुल शेख इरफान, शेख शरीफ, शेख कासिम शेख, अनेकों कार्यकर्ता सक्रिय भूमिका निभाएं ।
समाचार आजतक से नोनीहाट रमेश कुमार की रिपोर्ट