फागुन के साथ पलाश और सिमर के फूलों की आई है बहार ,लोगों में फागुन का उल्लास

फागुन के साथ पलाश और सिमर के फूलों की आई है बहार ,लोगों में फागुन का उल्लास

रिपोर्ट_रमेश कुमार

दुमका

होली आने से पहले जंगल में पलाश के लाल पीले फूल और सिमर के लाल फूल खिल उठे ग्रामीण इलाके में पलाश के फूल और सिंबल के फूल की बाहर से इससे लोगों में होली का आगाज होने का संदेश मिल रहा है।

 

 होली पर ग्रामीण इलाके में पलाश के फूलों से रंगों की तैयारी किया जाता है फागुन माह में पतझड़ के बाद पलाश के फूल अपनी सुंदरता बिखरने लगती है।पलाश के फूल देखकर ग्रामीण इलाकों में होली मनाने की तैयारी शुरू हो गई है।पलाश के फूलों के रंग और होली का प्रकृति के रंग बनाया जाता है।

 

 इतना ही नहीं इन फूलों में आंखों से आंसू की भी तैयारी की जाते हैं आयुर्वेदिक में पलाश के पंचांग को उपयोगिता वनस्पति का भी दर्जा प्राप्त है। बसंत ऋतु के बीतने और होली का पर्व के नजदीक आते ही शहर सहित गरीब ग्रामीण क्षेत्र में है पलाश के फूलों चारों ओर दिखाई देने लगते हैं पेड़ों पर पलाश के फूल बाहर से आए हुए हैं जिससे वातावरण का सुंदर बढ़ने लगता है। पलाश के फूल पत्ते और लकड़ी स्वास्थ्य के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होते हैं इससे कई रोग की दवाई बनती है।

 होली के आसपास फूल चरम पर आकर जंगल की खूबसूरती चार चांद लगा देती है हालांकि रन उत्साह मनाए जाने में अभी समय है प्रकृति ने इसकी तैयारी बसंत ऋतु के आगमन के साथ कर ली है। फ्रांस के जो फूल पेड़ से गिरते हैं उन्हें बच्चे चुन के पानी में डूबा कर रखते हैं और दो-तीन दिन बाद वह फूल को देखकर रंग बनाते हैं उसी रंग से ग्रामीण क्षेत्र में रंग खेले जाते हैं।

 

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