गोड्डा के इस कवि ने कैसे किया झारखंड का नाम रौशन पढ़े पुरी ख़बर
गोड्डा।
कहते है कि प्रतिभा छिपते नहीं छिपती अगर कोई शख्स इमानदारी से परिश्रम करें तो वह अपनी प्रतिभा के बल पर आसमान की ऊंचाइयों को छू सकता है। आज हम गोड्डाके एक ऐसी शख्स का जिक्र करने वाले हैं जिन्होंने गोड्डा ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड को अपनी प्रतिभा से गौरवान्वित करने का काम किया है.
जिन्होंने देश ही नहीं देश के बाहर बाहर भी अपनी अमिट प्रभावशाली कविता से पहचान बनाया हैं। उन्होंने अपने कविता के माध्यम से समाज में हो रही कुरीतियों से लेकर अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय सभी मुद्दे को समय समय पर अपने कविताओं गीतों शायरियां में पिरो कर उजागर करने का कार्य करते रहे हैं.
हम आज ऐसे ही गोड्डा के लाल कवि डॉक्टर मनोज कुमार राही कि बात करने जा रहे है जिन्हे विश्व मानव अधिकार आयोग ने PhD के उपाधि से सम्मानित कर विश्व मानव अधिकार आयोग के लाइफ टाइम सदस्यता से नवाजा है,
जो गोड्डा जिला ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड के लिए गौरव कि बात है.
कौन है डॉक्टर मनोज राही?
आपको बता दें की गोड्डा के सुंदर पहाड़ी प्रखंड के घटियारी पंचायत में जन्मे डॉ कुमार की 9वीं कक्षा से इनके रुचि लेखन कला, नाट्य मंचन ,और साहित्य की दुनिया में रही है.
इनके पिता स्वर्गीय लालचंद यादव प्रखर समाजसेवी व स्वतंत्रा सेनानी थे,व घटियारी पंचायत के प्रथम मुखिया भी रहे हैं, साथ हि कई शैक्षणिक संस्थाओं के संस्थापक भी रहे है.
इनके परिवार का जुड़ाव शुरू से हि सामाजिक सुधार शिक्षा प्रशासनिक सेवाओं से रहा है। संपूर्ण जिले में प्रतिष्ठित परिवार के रूप में इन्हे गिना जाता रहा है।डॉक्टर कुमार को मिले इस सम्मान से गोड्डा के बुद्धिजीवियों वर्गों में हर्ष का माहौल व्याप्त है.
ज्ञात हो कि डॉक्टर कुमार को साहित्य में पहले से भी phd से सम्मानित हो चुके है.
किन लोगो को देता है मानवाधिकार आयोग ये सम्मानित उपाधि और लाइफ टाइम मेंबरशिप ?
ये उपाधि विश्व मानव अधिकार आयोग द्वारा उन लोगो को दी जाती है, जो डिप्लोमा इन ह्यूमन राइट्स, पीजी डिप्लोमा इन ह्यूमन राइट्स, में अध्यन कर चूके है.
बता दें कि डॉक्टर कुमार ने विश्व मानवाधिकार आयोग के अंतर्गत “डॉक्टरेट इन चाइल्ड एक्सटोरेशन एंड ह्यूमन राइट” के विषय पर शोध किया है। इनका
मानवाधिकार विषय में शोध का विषय “बच्चों का शोषण और मानवाधिकार ” था।
साथ ही इन्हें विश्व मानवाधिकार सुरक्षाआयोग द्वारा सम्मानित जीवन पर्यन्त सदस्यता प्रदान की गयीं है. यह सम्मान वैसे लोगों को दिया जाता है जो मानवाधिकार क प्रति सजग हों, इस विषय के प्रति गहरी अभिरूचि और जानकारी रखते हों।
बताते चलें कि की डॉ कुमार विधि स्नातक सहित मानवाधिकार और लोक प्रशासन में भी पी.जी(स्नातकोत्तर )
हैं.