दुमका में बनते थे हथियार, मुंगेर में फिनशिग

दुमका में बनते थे हथियार, मुंगेर में फिनशिग

दुमका।

बिहार के मुंगेर और लखीसराय के अपराधी शिकारीपाड़ा के पत्ताबड़ी में इसी साल फरवरी से लेद कारखाना की आड़ में मिनी गन फैक्ट्री चला रहे थे। यहां पर केवल हथियार का ढांचा तैयार किया जाता था और फिनशिग मुंगेर में होने के बाद बेच दिया जाता था। ढांचा तैयार करने के लिए कारखाना चलाने वाले को एक पिस्टल पर ढाई हजार रुपये मिलते थे। पुलिस ने तलाशी पूरी करने के बाद दो दर्जन अर्धनिर्मित पिस्टल, साठ हजार रुपये, बाइक व स्कूटी, और दो दर्जन के पिस्टल की नाल व तीन मोबाइल जब्त किए हैं। गुरुवार को आरोपित कारखाना संचालक मुंगेर के बासुदेवपुर के माधोपुर निवासी अरूण कुमार, लखीसराय के हलसी थाना क्षेत्र के मोदीनगर के रंधीर कुमार, हलसी के संडा गांव के नीलेश कुमार और मुंगेर के बासेपुर थाना क्षेत्र के जेरबेहरा गांव के मैसर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। वही, फरार मुंगेर के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बरदह गांव के मोहम्मद डबला शेख की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।

पुलिस सभागार में एसडीपीओ नूर मुस्तफा अंसारी ने बताया कि मुंगेर में कुछ लोगों की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ से जानकारी मिली कि अरूण कुमार शिकारीपाड़ा में लेद कारखाना की आड़़ में मिनी गन फैक्ट्री चला रहा है। सूचना के बाद कार्रवाई की गई तो फैक्ट्री संचालक समेत तीन व पिस्टल का ढांचा लेने आया मैसर को पत्ताबड़ी चौक में एक दुकान से पकड़ा गया। पूछताछ में सभी ने स्वीकार किया कि यहां पर केवल पिस्टल का ढांचा तैयार किया जाता था और सारे पुर्जा के साथ पिस्टल को फिनसिग के लिए मुंगेर भेजा जाता था। वहां पर पिस्टल को तैयार कर आठ से दस हजार में बेच दिया जाता था। कारखाना संचालक को एक पिस्टल का ढांचा तैयार करने के एवज में ढाई से तीन हजार रुपये मिलते थे। बताया कि हथियार बनाने में किसी भी स्थानीय लोग का कनेक्शन नहीं है। बिहार के अपराधी ही सारा काम अकेले करते थे। मौके पर शिकारीपाड़ा के अवर निरीक्षक तनवीर आलम, अभिनव कुमार व विश्वजीत कुमार आदि मौजूद थे।


दिन में इंजन व रात में बनते थे हथियार

एसडीपीओ ने बताया कि किसी को अवैध गन फैक्ट्री की जानकारी नहीं मिले, इसके लिए दिन में इंजन आदि बनाने का काम किया जाता था। रात में सभी अपराधी मिलकर हथियार बनाते थे। यही कारण है कि किसी को फैक्ट्री के बारे में कुछ पता नहीं चला, जिस घर में आरोपित रहते थे, उसके मकान मालिक पंचानन सिंह से भी गहन पूछताछ की गई, लेकिन वह फैक्ट्री के बारे में कुछ नहीं बता सके।


एक माह में दो बार तैयार होते थे हथियार

मिनी गन फैक्ट्री में एक माह में दो बार करीब 50 हथियार तैयार कर बस से मुंगेर भेजे जाते थे। फरवरी से अभी तक कई बार हथियार भेजे गए। समय पर सूचना नहीं मिलती तो तैयार ढांचा बाहर चला गया होता। उसे लेने के लिए मैसर आया था।


खुद करते थे लोहा का बंदोबस्त

डीएसपी ने बताया कि हथियार बनाने में जिस लोहे का इस्तेमाल किया जाता था, वह दुमका की दुकानों से खरीदा जाता था। लोहे को मशीन से हथियार के लिए तैयार किया जाता था। सांचा के माध्यम से पिस्टल में प्रयुक्त होने वाला हर पुर्जा तैयार किया जाता था।


बरामद सामान एक नजर में-

-मुंगेर के मैसर के पास से 24 पिस्टल

-कारखाना से अर्धनिर्मित पिस्टल की 24 बैरल स्लाइड

-पिस्टल की अर्धनिर्मित 17 बैरल

-दो छेद वाले लोहे के 12 पीस

-10 पीस पिस्टल का पिछला हिस्सा

-एक स्कूटी, बाइक, व 60 हजार रुपया

-तीन मोबाइल, लेथ, ग्लेंडर, ड्रील मशीन, जेनरेटर

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