झारखंड विधानसभा में ‘नमाज’ कक्ष आवंटित करने के फैसले पर भाजपा को अपनी परंपरागत हिंदू मुस्लिम की राजनीतिक करने का मिला नया मुद्दा
झारखंड विधानसभा में ‘नमाज’ कक्ष आवंटित करने के फैसले पर भाजपा को अपनी परंपरागत हिंदू मुस्लिम की राजनीतिक करने का मिला नया मुद्दा
Ranchi
झारखंड विधानसभा के एक कमरे को नमाज के लिए आवंटित करने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले का भारतीय जनता पार्टी के नेताओ ने विरोध किया है. पार्टी के नेताओ और विधायकों ने सरकार के फैसले को तुष्टिकरण की राजनीति से जोड़कर इसे राज्य के भविष्य के लिए हानिकारक बताया है. भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत बताया है. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया है कि अविलंब इस निर्णय को वापस ले अन्यथा भाजपा इस निर्णय के विरुद्ध सदन से लेकर सड़क तक आंदोलन करेगी.
विधानसभा लोकतंत्र का वह मंदिर है, जिसे किसी धर्म या पंथ की परिधि में समेट कर नहीं रखा जा सकता।
लेकिन झारखंड विधानसभा में किसी वर्ग विशेष के लिए नमाज कक्ष का आवंटन किया जाना न केवल एक गलत परंपरा की शुरुआत है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों के भी विपरीत है। pic.twitter.com/Tefpo2Ad7B— Babulal Marandi (@yourBabulal) September 4, 2021
उधर, बीजेपी विधायक सह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह ने कहा कि हिंदुओं को भी विधानसभा परिसर में हनुमान मंदिर बनाने की इजाजत दी जाए. हमें नमाज से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन हमें भी विधानसभा परिसर में हनुमान मंदिर के लिए जगह मिलनी चाहिए. अगर स्पीकर इसकी अनुमति देते हैं और जगह आवंटित कर देते हैं तो हम अपने पैसे से मंदिर स्थापित करेंगे.
एक बड़ा हॉल मिले जहां हनुमान चालीसा या सत्यनारायण पाठ कर सकें – विरंचि
भाजपा विधायक विरंचि नारायण ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष अविलंब अपने इस फैसले को वापस लें. मात्र 3 विधायकों के लिए अलग से कमरा आवंटित किया जा सकता है तो 65 MLA के लिए कम से कम 15 कमरे आवंटित होने चाहिए. नहीं तो एक बड़ा हॉल मिले जहां यह हनुमान चालीसा या सत्यनारायण पाठ कर सकें. विधानसभा की तरफ से तुष्टीकरण का मामला इतिहास में पहली बार झारखंड में सामने आया है.
क्या है पूरा मामला : विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो के दो सितम्बर को दिए अपने आदेश में कहा था कि नए विधानसभा भवन में नमाज अदा करने के लिए कमरा संख्या 348 नमाज कक्ष के रूप में आवंटित किया जाता है. इसी फैसले के बाद सूबे कि सियासत गरमाई हुई है. बीजेपी को इसे मुद्दा बनाने का मौका मिल गया है और वह लगातार सरकार पर हमलावर है.