कैसा होता Coronavirus के मर्ज का दर्द ? विधायक जी से पूछ लीजिए

कैसा होता Coronavirus के मर्ज का दर्द ? विधायक जी से पूछ लीजिए

धनबाद।

कोरोना के खतरे को देख प्रखंडों में कोविड सेंटर खोले जा रहे हैं। व्यवस्था ऐसी कि मरीज बढ़ें तो शहर तक भाग दौड़ की जरूरत ही नहीं पड़े। कुछ जगह तो इंतजाम ठीक-ठाक हो चुके हैं, मगर कई जगह तैयारियां अभी भी अधूरी हैं। प्रशासन के हुक्म पर राजगंज में भी 10 बेड का एक कोविड वार्ड तैयार हुआ है। विधायक मथुरा महतो को बाकायदा उद्घाटन के लिए भी बुलाया गया। अब विधायक जी ठहरे राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी। तुंरत ताड़ गए कि यहां तो तैयारी ही अधूरी है। जनता क्या कहेगी। पहली लहर में खुद भी कोरोना को झेल चुके हैं। उसने तीनों लोक एक साथ याद करा दिए थे। काफी दिन अस्पताल में रहे थे। एक-एक उपकरण को पहचानते हैं। सो, उद्घाटन से कन्नी काट ली। दो टूक बोले-बेहतर इंतजाम करिए। सच ही कहा गया है, हाथ कंगन को आरसी क्या और…।

फूफा नहीं, चपरासी हैं

कोरोना संक्रमण रोकने को प्रशासन सख्त है। जहां भीड़ दिखी, खाकी पहुंची। कतरास में यही हुआ। धर्मशाला में शादी थी। दोनों पक्षों ने गिने-चुने मेहमानों को बुलाया। मगर ज्यादा आ गए। पुलिस के डर से गेट बंद। फिर भी पुलिस खुलवाकर आ धमकी। घाघ आंखों ने वर-वधू पक्ष के सर्वेसर्वा को पहचाना। उनसे मेहमानों की जानकारी लेने लगे। तभी कुर्ता झाड़े पान चबाते लड़के के फूफा ठसक से आए। खाकी की नजरें घूमी तो लड़के के पिता बोले- साहब धर्मशाला का चपरासी है। शाम को आने को कहा था। खाने आया है। फूफा समझ गए, कोरोना का मामला है। फंसे तो गए। हाथ जोड़ बोले-साहब खाकर निकल जाएंगे। लड़की के चाचा, मौसा ने भी पतली गली पकड़ी। दो भाई जो कपड़े नहीं बदले थे, बर्तन मांजने लगे। पुलिस चली गई। आननफानन शादी हुई। अभी समय ऐसा ही है। हर अपना बेगाना लग रहा है।

कोरोना गया, गुस्सा आया

बाघमारा के एक दर्जन लोगों ने कई दिनों तक कोविड अस्पताल में इलाज करा कोरोना को मात दी। रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी तो पूरा अमला अस्पताल ले जाने को गाड़ी लेकर घर पहुंचा था। इलाज कराया, खान पान में परहेज किया, सो रिपोर्ट निगेटिव आ गई। बस क्या था सबकी खुशी का ठिकाना नहीं था। सीना तानकर अस्पताल से निकले। मगर यह क्या, बाहर छोडऩे तक कोई नहीं आया। फिर तुर्रा ये कि पैदल ही निकल लीजिए, अपने घर। बेचारे क्या करते, मन मसोसकर तपती धूप में 20 किमी दूरी पैदल तय की। कोई टेंपो भी नहीं मिला। चेहरा लाल हो गया, पैर जवाब दे रहे थे। तब कहीं घर दिखा। गुस्सा था तो निकला भी। सभी ने स्वास्थ्य सहिया के पति पर तेवर दिखा दिए। इतने ज्यादा कि कोरोना विजेताओं को मनाने पुलिस को आना पड़ा। वर्दी की तो ठसक होती है। बस मान गए।

शराब का सितम

टुंडी में शराबी के फितूर ने हंगामा बरपा दिया। नशे की हालत में एलान किया कि गांव में डॉक्टरों की टीम आएगी। सभी को पकड़-पकड़ कर कोविड का टीका लगाएगी। टीका का फायदा तो बताया नहीं, कहा कि इससे परेशानी होगी। गांव की महिलाएं भड़क गईं। आखिर जबरदस्ती क्यों होगी? एकजुट होकर हाथों में लाठी, डंडे व झाड़ू लेकर आंगनबाड़ी केंद्र पर जा डटीं। संयोग से उस दिन कोई टीम नहीं पहुंची। बल्कि जानकारी पाकर जनप्रतिनिधि पहुंचे। वहां सारी बात पता चली। इसके बाद महिलाओं को कोरोनारोधी वैक्सीन के बारे में सारी जानकारी दी गई। बताया कि कोरोना से यही बचा सकती है। अपनी बारी आए तो टीका जरूर लें। गांव की महिलाएं टीका लगवाने को तैयार हो गई हैं। मगर उस शराबी की खोज में भी लगी हैं कि कब धराए और उसका नशा उतारें। इधर महिलाओं के मंसूबे जानकर ही उसका नशा उतर चुका है।

Source-DJ

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