अब 2-4 हजार रुपये खर्च करने की जरूरत नहीं, फ्री में ब्लड ऑक्सीजन लेवल और पल्स रेट चेक करेगी ये ऐप
कोलकाता बेस्ड हेल्थ स्टार्टअप ने एक मोबाइल ऐप डेवलप की है जो कि पल्स ऑक्सीमीटर (Pulse Oximeters) की जगह पर इस्तेमाल की जा सकती है। आइए इस ऐप के बारे में विस्तार से…
कोविड-19 की दूसरी लहर ने भारत को काफी बुरी तरह प्रभावित किया है। अब तक करोड़ों लोग कोविड का शिकार हुए हैं और लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। ऐसे में लोगों को घर पर अपनी सेफ्टी के लिए कई मेडिकल इक्विपमेंट का इस्तेमाल करना पड़ा रहा है, ताकि हेल्थ लेवल को लगातार मॉनिटर किया जा सके। इन्हीं में से एक पल्स ऑक्सीमीटर (Pulse Oximeters) जो इन दिनों के काफी अहल रोल निभा रहा है। यह कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा कि आज के समय में ऑक्सीमीटर स्मार्टफोन से ज्यादा जरूरी हो गए हैं। ऐसे में डिमांड बढ़ने के कारण निर्माताओं ने ऑक्सीमीटर की कीमतों में इजाफा कर दिया है।
अगर आप अपने लिए कोई नया और अच्छा ऑक्सीमीटर खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो आपके इसके लिए कम से कम 2 हजार रुपये या उससे अधिक खर्च करने हो सकते हैं। अगर आपके लिए ऐसा करना मुश्किल है तो हम आपको इसका भी समाधान बता रहे हैं। जी हां, हाल ही में कोलकाता बेस्ड हेल्थ स्टार्टअप ने एक मोबाइल ऐप डेवलप की है जो कि ऑक्सीमीटर की जगह पर इस्तेमाल की जा सकती है। आइए इस ऐप के बारे में विस्तार से जानते हैं।
यह ऐप
यह ऐप Pulse Oximeter को करेगी रिप्लेस:
हेल्थ स्टार्टअप द्वारा डेवलप की गई इस मोबाइल ऐप को CarePlix Vital कहा जाता है जो कि जो कि यूजर के ब्लड ऑक्सीजन लेवल, पल्स और रेसप्रेशन रेट्स को मॉनिटर करने का काम करती है। इस मोबाइल ऐप को इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले आपको स्मार्टफोन के रियर कैमरे और फ्लैशलाइट पर उंगली रखनी है। कुछ सेकंड के अंदर ही ऑक्सीजन सेटुरेशन (SpO2), पल्स और रेसिपिरेशन लेवल डिस्प्ले पर नजर आता है।
CareNow Healthcare के को-फाउंडर सुभब्रत पॉल ने बताया कि लोगों को ऑक्सीजन सेटूरेशन और पल्स रेट जैसी जानकारी हासिल करने के लिए पल्स ऑक्सीमीटर या स्मार्टवॉच आदि डिवाइस की जरूरत पड़ती है। इस डिवाइस में इंटरनल टेक्नोलॉजी की बात जाए तो फोटोप्लेथिस्मोग्राफी या पीपीजी इस्तेमाल की जाती है।
आगे कहा कि अब हम इस टेक्नोलॉजी को स्मार्टफोन के रियर कैमरे और टॉर्च के जरिए ला रहे हैं। आपको बता दें कि वियरेबल डिवाइस और ऑक्सीमीटर में इन्फ्रारेड लाइट सेंसर का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन हम फोन में सिर्फ फ्लैशलाइट का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको रियर कैमरा और फ्लैशलाइट पर उंगली रखना होगा और करीब 40 सेकंड तक स्कैनिंग करनी होगी। उस दौरान लाइट के अंतर को केलकुलेट किया जाता है और अंतर के आधार पर हम PPG ग्राफ को प्लॉट किया जाता है। ग्राफ से SpO2 और पल्स रेट की जानकारी मिलती है।
CarePlix की वाइटल ऐप एक रजिस्ट्रेशन बेस्ड ऐप है। इसमें ऐप का AI फिंगर प्लेसमेंट की पावर को तय करने में हेल्प करता है। इसमें फिंगर प्लेसमेंट जितनी ज्यादा पावरफुल होगी तो रीडिंग उतनी ही ज्यादा साफ आएगी। इस दौरान करीब 40 सेकंड तक उंगली रखने पर रीडिंग मिलती है और इंटरनेट कनेक्शन के जरिए रीडिंग को रिकॉर्ड किया जाता है और क्लाउड पर सेव किया जा सकता है।
CarePlix वाइटल के को-फाउंडर मोनोसिज सेनगुप्ता ने कहा कि इस टेक्नोलॉजी को बनाने का विचार देश में दिल की बीमारी से मौतों के बाद आया है। इस डिवाइस का क्लिनिकल ट्रायल 2021 में सेठ सुखलाल करनानी मेमोरियल हॉस्पिटल कोलकाता में 1200 लोगों पर किया गया था। पॉल ने बताया कि इन टेस्टिंग को हॉस्पिटल में डॉक्टर्स के साथ किया गया था और यह खासतौर पर ओपीडी में ही हुए थे। टेस्टिंग के दौरान यह पाया गया कि केयरप्लिक्स वाइटल हर्ट की धड़कन की 96 फीसदी तक सही दी और ऑक्सीजन सेटूरेशन की 98 फीसदी तक सही जानकारी दी थी।