*मेरी कलम से प्रसंग: गणतंत्र दिवस का मंगल गान गायें, लोकतंत्र की जननी है भारत, पुनरुत्थान पावन भूमि का पूर्ण हो*

मेरी कलम से,नमस्कार मित्रों, आज भारत अपना 72 वा गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मना रहा है ।मैं डॉ मनोज कुमार राही देश की तमाम जनता को लोकतंत्र की मजबूती की मंगल कामना करते हुए मुबारकबाद देता हूं,और अपने भावों को शब्दों के माध्यम से आप सबके बीच एक छोटी सी रचना प्रस्तुत करता हूं।

पेश है,

           “गणतंत्र”

 गणतंत्र दिवस का मंगल गान गायें,

लोकतंत्र की जननी है भारत, पुनरुत्थान पावन भूमि का पूर्ण हो,

 आओ जन-जन को जगाए।।

 गणतंत्र की घोषणा की बात,

72 साल की हो गई पुरानी,

निश्चय ही हर क्षेत्र में आगे बढ़े हम,

अब बन सिरमौर बनना है अग्रणी ।।

संविधान की 72 फीसद बातें है अधूरी, चाल इसकी धीमी है बहुत,

 बदलनी होगी समया- नुकूल धुरी,

 तभी हो सकेगी जनाकांक्षायें पूरी ।।

समता मूलक समाज का हो गठन,

सबके लिए नियम कानून हो एक समान, इसकी वकालत करता है संविधान,

आओ सब मिल ढूढेँ इसका निदान।।

 जनप्रतिनिधि दिखलाए उदारता,

 सांसद, विधायक खुद को ना समझें विधाता, अवांछित सुविधाओं का दिल से करें त्याग,

 जनता के प्रति बढ़ाएं अपना अनुराग ।।

जनसेवा सच्चे अर्थों में देश सेवा,

 सांसद सामंत खुद को ना समझे,

बल्कि लोकतंत्र के महंत बने,

 संसद को समझें मंदिर मजबूत लोकतंत्र बने।।

 तरक्की और बुलंदी की,

अभी अनगिनत इबारत गढ़नी है, अपना भारत है दुनिया में अनोखा,

आओ लिखें ऐसी अमर कहानी है।। धन्यवाद!

सन्देश :—आइये उदारता पूर्वक लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करें,

जन जन के साथ कदम मिलाकर चलें ।।

हम हैं :–

डॉ मनोज कुमार राही,

घटियारी,गोड्डा,झारखण्ड ।

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