पेंशन व्यवस्था खत्म होने के विरोध में 1 दिसंबर को काला दिवस मनाएंगे सरकारी कर्मी
गोड्डा।
झारखंड अनुसचिवीय कर्मचारी संघ समाहरणालय संवर्ग के जिला मंत्री मुजहिदुल इस्लाम ने कहा कि सरकारी सेवकों का पेंशन खत्म करने की तिथि 1 दिसंबर को काला दिवस मानते हुए पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग की जाएगी। उन्होंने कहा कि तत्कालीन केंद्रीय सरकार द्वारा 01 दिसंबर 2004 के बाद नियुक्त होने वाले सरकारी कर्मचारियों और पदाधिकारियों को पेंशन से वंचित कर दिया गया। पेंशन ही कर्मचारियों के लिए बुढ़ापे का सहारा है।पूरे जीवन सेवा देने के बाद बुढापे में मिलने वाली पेंशन को ही सरकार ने छीन लिया, जिससे सामाजिक सुरक्षा से वंचित हो गए। सरकार पेंशन की जगह नई नीति लेकर आई, जिसके अधीन कर्मचारियों के अंशदान को शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कर दिया गया। सेवा निवृत्ति के बाद अंशदान की राशि के बाज़ार मूल्य का 60 प्रतिशत राशि कर्मचारी को और 40 प्रतिशत पेंशन प्राधिकरण को देने का प्रावधान किया गया। इस योजना के तहत कर्मियों को सेवा निवृति पर 1500 से 2000 रुपये मासिक पेंशन निर्धारित होता है, जिससे कि आज की तिथि में एक आदमी का भरण पोषण होना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार ने सरकारी सेवकों से पेंशन छीन लिया, वहीं दूसरी तरफ विधायकों और सांसदों को पेंशन और पारिवारिक पेंशन को बढ़ा दिया गया, जो कि न्याय नहीं भेदभाव को दर्शाता है। यदि पेंशन की व्यवस्था को समाप्त करनी ही थी तो सम्पूर्ण पेंशन को समाप्त किया जाना चाहिए था। लेकिन राजनैतिक पेंशन को जारी रख कर माध्यम वर्ग को बता दिया गया कि सरकार की नीति गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए नहीं बल्कि पूंजीपतियों के लिए है। श्री श्याम ने कहा कि आज किसान विरोधी बिल को लेकर किसान आंदोलित हैं। वहीं इस सरकार का वादा वन रैंक वन पेंशन को भी लागू नहीं किया गया। एक तरफ व्यवस्थाएं निजी हाथों में देकर राज्य अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है वहीं दूसरी तरफ आम जनता के हितों को ध्यान में न रख कर पूंजीपति और बाजार की तरफ अपना रुख किये हुए हैं जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के लोग ही प्रभावित होंगे। सरकार की पेंशन नीति के विरोध में 01 दिसंबर को राज्य भर में सरकारी सेवकों के द्वारा काला दिवस मनाते हुए आक्रोश प्रकट कर अपनी भावना को सरकार तक पहुंचाया जाएगा।