Arts & Culture Kavi Ke Kalam se…… समाचार आजतक November 12, 2020चंचल मन _________क्यों रे चंचल मन तू इतना सागर किनारे लहरों जितनामस्त दीवाना कभी दिखता तू सैर सपाटे करवाता पल में तूवक्त से आंख मिचौली में भी,पारंगत है केवल तू ही कहूं तुझे एक जादूगर भीभटके हुए यूं ही चलता आदि अंत का कुछ भी नहीं है पता मनमौजी तू है मधुशालाकभी खुशी कभी ग़म मिल जाता कभी उलझा के फिर सुलझातारहस्यमय मन को किसी ने ना जाना राज ये मन का उभर ना पायामन पर काबू नहीं किसी का कोशिश लाख करूं मैं जिसकासमय नहीं सुनने का इसको किस्सा अपना वश में कभी ना आया ये तो पागल तन्हांलालिमा 🙏