*GODDA NEWS:दोस्ती करने से पहले सही संगत पहचानना जरूरी: उपायुक्त*

दोस्ती करने से पहले सही संगत पहचानना जरूरी: उपायुक्त

डीसी, एसपी एवं डीडीसी ने बाल अपराध के प्रति छात्रों, शिक्षकों एवं अभिभावकों को किया जागरूक

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया संवाद
गोड्डा।

हाल के दिनों में जिला में घटित आपराधिक कृत्यों में नाबालिग बच्चों की संलिप्तता सामने आने के बाद जिला प्रशासन सजग हो गया है। इसके लिए व्यापक पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस क्रम में बुधवार को जिला प्रशासन के द्वारा बाल संरक्षण, बाल अपराध के जागरूकता हेतु वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षात्मक बैठक आहूत की गई। बैठक में +2 विद्यालय, उच्च विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के वर्ग 6-12 में नामांकित बच्चे, शिक्षकों एवं अभिभावकों ने हिस्सा लिया। बैठक में उपायुक्त भोर सिंह यादव, पुलिस अधीक्षक वाइएस रमेश, उप विकास आयुक्त अंजलि यादव ने उपस्थित बच्चों, शिक्षकों एवं अभिभावकों को संबोधित किया।

उपायुक्त श्री यादव ने कहा कि बहुत सारे नाबालिग बच्चे जाने अनजाने में अपराध की घटना में आ जाते हैं, जिसको लेकर उन्होंने उप विकास आयुक्त एवं पुलिस अधीक्षक से मिलकर आप लोगों के साथ संवाद किया। उपायुक्त ने बच्चों के संगत को लेकर कहा कि बच्चे किनके साथ रहते हैं, समय बिताते हैं, दोस्ती करते हैं यह निर्णय आप लेते हैं। लेकिन दोस्ती करने से पहले सही संगत पहचानना बहुत जरूरी होता है। अगर आपके संगत सही होंगे तो आपके निर्णय सही होंगे।
श्री यादव ने बच्चों से कहा कि कुछ निर्णय या काम करने से पहले अगर आपके मन में डर महसूस हो तो उस प्रकार के काम न करें।क्योंकि जहां पर डर महसूस होता है अगर उसके बावजूद आप उस काम को करते हैं तो आप धीरे-धीरे अपराध की ओर बढ़ते हैं।
उपायुक्त ने बच्चों से कहा कि इस तरह के काम करने से पहले आप अपने माता-पिता से विचार विमर्श करें। उनके साथ अपनी बातें रखें और उनके कहे हुए बातों को ध्यान से सुन कर उस पर अमल करें। कहा कि सभी बच्चे किसी भी दुविधा में हों तो अपने माता पिता से जरूर बात करें। साथ ही उन्होंने बच्चों से कहा कि सोशल मीडिया का सही तरीके से उपयोग करें। अगर हम इसको अच्छे ढंग से लेते हैं तो आज इंटरनेट के माध्यम से हम बहुत कुछ घर बैठे सीख सकते हैं। लेकिन यह भी प्राय: देखा जाता है कि फेसबुक, ट्विटर इत्यादि में बच्चे कुछ पोस्ट पर बिना कुछ जाने कुछ गलत कमेंट कर देते हैं, जिसके कारण वे जाने अनजाने में अपराध की श्रेणी में आ जाते हैं। इन सब बातों का खासा ख्याल रखें।

पुलिस अधीक्षक श्री रमेश ने इस बैठक में कहा कि सभी अभिभावक अपने बच्चों पर नजर रखें। उनसे बातचीत करिए। साथ ही उन्हें क्या चाहिए और उन्हें क्या देना चाहिए, यह निर्णय आपको लेना है। उन्होंने कहा कि बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाना अपराध है। लेकिन यह प्रायः देखा जाता है कि 18 साल से पहले बच्चे गाड़ी चलाते हैं, जो कि गलत है। 18 साल के होने पर अपना लाइसेंस बनवाएं, फिर गाड़ी चलाएं।
साथ ही उन्होंने कहा कि तेज रफ्तार गाड़ी चलाना अपने और दूसरों को हानि पहुंचाता है। तेज रफ्तार गाड़ी बिल्कुल न चलाएं। उन्होंने बच्चों से कहा कि कई बार तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना आपको अच्छा लगता है, लेकिन इसमें अगर एक्सीडेंट हो जाए तो आप जाने अनजाने अपराधी बन जाते हैं। इसलिए तेज रफ्तार गाड़ी चलाने से पहले सोचें एवं तेज रफ्तार गाड़ी बिल्कुल ना चलाएं।
साथ ही उन्होंने कहा कि बिना हेलमेट के बाइक न चलाएं। बैठक में पुलिस अधीक्षक द्वारा डायल 100 एवं शक्ति एप के बारे में जानकारी दी गई। कहा कि आप सभी अन्य साथियों को भी इन सब बातों से अवगत कराएं।

बैठक में उप विकास आयुक्त अंजलि यादव ने उपस्थित बच्चे, शिक्षक एवं उनके अभिभावकों के साथ संवाद किया। इस दौरान सर्वप्रथम उन्होंने अभिभावकों से कहा कि आपका बच्चा किनके साथ उठ बैठ रहा है, उनकी गतिविधियों पर नजर रखें। पैरेंट्स अपने बच्चों के साथ बातचीत करते रहें, जिससे बच्चे भी बिना डरे अपनी बातों को आपसे शेयर कर पाएं। मोबाइल फोन का उपयोग बच्चे कैसे करते हैं इस पर पैरेंट्स मॉनिटर करें। उन्हें अच्छी बातों से अवगत कराएं एवं उनको सही गलत की जानकारी दें। पैरेंट्स अपना पर्सनल समय बच्चों को दें। उनकी समस्याओं को सुनना, उनको अच्छी बातें बताना यह आपका कार्य है। अपने बच्चों को किसी दूसरे के बच्चों से तुलना ना करें। बच्चे अपराध की तरफ न जाएं, यह पैरेंट्स की जिम्मेदारी है।
बैठक में उपस्थित शिक्षकों से उप विकास आयुक्त ने कहा कि शिक्षक होने के नाते आपको हर बच्चे के मूवमेंट पता होती है कि कौन सा बच्चा किस दिन आ रहा है, किस दिन नहीं आ रहा है। स्कूल में बच्चे क्या कर रहे हैं, क्या नहीं कर रहे हैं, इसपर आप ध्यान दें एवं इसके अनुरूप बच्चों से बातचीत कर उन्हें सही रास्ता दिखाएं। स्कूली उम्र में बच्चों को पहचाना, सही समय पर बच्चों को नियंत्रण करना यह शिक्षक का कार्य है। बच्चे गलत रास्ते पर ना जाएं इसको लेकर अभिभावक के साथ-साथ शिक्षक भी ध्यान दें।
श्रीमती यादव ने बच्चों से कहा कि अगर आप सही गलत की पहचान नहीं कर पा रहे हैं तो अपने पैरंट्स से बात करें। कोई भी परेशानी होने पर अपने माता-पिता से बातचीत जरूर करें। अगर कोई दोस्त गलत कार्य कर रहा है तो उसे अच्छी बातें बताएं। साथ ही आप उस कार्य में सम्मिलित न हों।
बैठक के अंत में उपायुक्त ने बच्चों से कहा कि आप सभी बच्चे अच्छे से पढ़ाई करें ।अपने माता-पिता और अपने गुरुजनों का सम्मान करें।

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