दुमका जिला अंतर्गत जामा प्रखंड के दर्जनों गांव में विश्वकर्मा पूजा प्रत्येक साल की भांति इस साल भी बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाया गया
रिपोर्ट: अजीत यादव
दुमका।
जामा प्रखंड के दर्जनों गांव में धूमधाम से मनाया गया भगवान विश्वकर्मा पूजा जिसमें मुख्य रुप से जामा, सैजाकोड़ा, जरपुरा, बारापलासी,बैसा, पीपरा,तपसी बाघझोपा, असन्थर, हल्दीपट्टी,धनाडीह, दुबरीकदेली, बासबुटिया, कुन्डाडीह, बाबूकदेली लक्ष्मीपुर कैराबनी कडराशाल आदि दर्जनों गांव में धूमधाम से मनाया गया विश्वकर्मा पूजा, हमारे हिन्दू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का निर्माणकर्ता या शिल्पकार माना जाता है. भगवान विश्वकर्मा को ही विश्व का पहला इंजीनियर भी कहा जाता है. इसके साथ ही साथ विश्वकर्मा जी को यंत्रों का देवता भी माना जाता है. शास्त्रों में ऐसा भी कहा गया है कि ब्रह्मा जी के निर्देश के मुताबिक ही विश्वकर्मा जी ने इंद्रपुरी , द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक और लंका आदि राजधानियों का निर्माण किया था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विश्वकर्मा जी को ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र के रूप में भी माना जाता है. भगवान विश्वकर्मा जी की जयंती हर साल 17 सितंबर को ही मनाई जाती है. इसका कारण यह है-इसलिए हर साल मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को: हमारे हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा पूजा या विश्वकर्मा जयंती को लेकर कई धारणाएं हैं. जिसमें से- एक मान्यता के मुताबिक भगवान विश्वकर्मा का जन्म आश्विन मास की कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को हुआ मानते हैं. जबकि दूसरी मान्यता के मुताबिक यह माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा का जन्म भाद्र मास की अंतिम तिथि को हुआ था. वहीँ इन सबसे अलग एक मान्यता के मुताबिक विश्वकर्मा पूजा को सूर्य पारगमन के आधार पर तय किया गया जिसके चलते विश्वकर्मा पूजा हर साल 17 सितंबर को मनाया जाता है ।