ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र के तत्वावधान में गोड्डा प्रखंड के ग्राम कुरमा में राष्ट्रीय पोषण माह के तहत पोषण जागरूकता अभियान कार्यक्रम आयोजित किया गया। पोषण अभियान की थीम “संतुलित भोजन, स्वस्थ जीवन” है। गृह वैज्ञानिक डाॅ प्रगतिका मिश्रा ने बताया कि गर्भवती महिला और शिशु के आरम्भिक वर्षों में बेहतर पोषण अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होती है। बच्चे के मस्तिष्क और शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है कि विटामिन, कैल्शियम, आयरन, वसा और कार्बोहाइड्रेट वाले पोषक तत्वों के साथ संतुलित आहार बच्चे और मां को दिया जाए। बच्चों में कुपोषण की एक बड़ी चुनौती स्टंटिंग और वेस्टिंग (सामान्य भाषा में नाटापन और दुबलापन) के रूप में सामने आई है। स्टंटिंग (नाटापन) से तात्पर्य है कि उम्र के अनुसार बच्चे की लम्बाई का विकास न होना और वेस्टिंग (दुबलापन) यानी बच्चे का लम्बाई के अनुपात में कम वजन का होना। कुपोषण से बचाव के लिए खाद्य पदार्थों जैसे फल और सब्जियां, दूध, पनीर, दही, मक्खन, चावल, आलू, हरी पत्तेदार सब्जियां(पालक, मेथी, लाल साग)और स्टार्च के साथ प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ, मांस, मछली, अंडे, बींस, वसा तेल, नट बीज आदि पर्याप्त मात्रा में आवश्यक हैं। पोषण थाली एवं पोषण माला के विषय में बताया गया। पांच परिवार को न्यूनतम आवश्यक सब्जी एवं स्थानीय फलों की प्राप्ति हेतु पोषण वाटिका माॅडल को गांव में स्थापित करने के लिए प्रेरित किया गया। कृषि प्रसार वैज्ञानिक डाॅ रितेश दुबे ने कहा बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए मूंगफली दाना, सोयाबीन, दाल आदि को बच्चों के आहार में समाविष्ट करे। बच्चों को भरपूर तेल-घी, शक्कर, गुड़ खाने के लिए दें, इससे उर्जा मिलती है। फल, हरी सब्जियां, बादाम आदि पदार्थ खाने और हजम करने में आसानी होती है। बच्चे का विकास और वृद्धि की समय-समय पर जांच करवाएं। सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं पोषण सखियों को नींबू के पौधे वितरित किया गया। सुरतिका देवी, बेबी देवी, रेखा, पुनम देवी, निर्मला देवी, अर्चना कुमारी, रिंकू कुमारी, शिवानी कुमारी, कल्पना देवी समेत 30 आंगन बाड़ी कार्यकर्त्ता, पोषण सखी पोषण जागरूकता अभियान कार्यक्रम में सम्मिलित हुई।