गरीब कल्याण रोजगार अभियान के 3 दिवसीय सब्जी उत्पादन प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजन किया गया।
गोड्डा।
जी.वी.टी.-कृषि विज्ञान केंद्र,गोड्डा,झारखण्ड स्थित ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के अंतर्गत श्री रजनीश प्रसाद राजेश,विषय वस्तु विशेषज्ञ- कृषि मौसम विज्ञान एवं उनकी टीम ने जी.वी.टी.-कृषि विज्ञान केंद्र,जिला गोड्डा के सभागार में 29 अगस्त 2020 को गरीब कल्याण रोजगार अभियान के 3 दिवसीय सब्जी उत्पादन प्रशिक्षण कार्यशाला में आये हुए प्रवासी मजदूरों के बीच एक दिवसीय कृषक जागरुकता कार्यक्रम में कोरोना बीमारी से बचाव एवं सावधानी को ध्यान में रखते हुए किसानों सह प्रवासी मजदूरों के बीच मास्क लगा कर तथा सामाजिक दूरी का पालन करते हुए ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के अंतर्गत मौसम आधारित कृषि पर कृषक जागरूकता अभियान का आयोजन किया। जागरूकता अभियान में डा.रवि शंकर (कार्यक्रम समन्वयक)ने कार्यक्रम का उद्घाटन कर किसानों को बताया कि कैसे बदलते जलवायु परिवेश में फसलों के उपज और पशुधन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए मौसम आधारित खेती गोड्डा के किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है,इससे उपज की हानी तथा आर्थिक नुकसान को कम कर आय को बढ़ाया जाने का बहुत हीं लाभकारी उपाय है।कार्यक्रम में डा. हेमंत चौरसिया (उद्यान वैज्ञानिक), डा.सूर्य भूषण (पादप सुरक्षा वैज्ञानिक), डा.ए.पी.ठाकुर (मृदा वैज्ञानिक), डा.सतीश कुमार (पशुपालन वैज्ञानिक), डा.प्रगतिका (गृहविज्ञान विशेषज्ञ), डा.रीतेश दुबे (कृषि प्रसार विशेषज्ञ),श्री राकेश सिंह (फार्म मैनेजर) तथा श्री वसीम अकरम (अग्रोमेट आब्जर्वर) मौजूद थे। किसान जागरूकता अभियान में मौसम वैज्ञानिक श्री रजनीश प्रसाद राजेश ने किसान भाइयों को जानकारी दिया:-
(क). जलवायु परिवर्तन एवं इसका प्रतिकूल प्रभाव खेती एवं आम जन-जीवन पर,के बारे में बताया। (ख). ग्रामीण कृषि मौसम सेवा तथा कृषि मौसम पूर्वानुमान एवं मौसम खेती परामर्श बुलेटिन, साथ हीं इसकी महत्ता गोड्डा जिले के किसान भाइयों के लिए,के बारे में बताया। (ग). वैज्ञानिकों ने फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिये मौसम आधारित प्रबंधन एवं इसके फायदे के बारे में जानकारी दी। (घ).बीजोपचार, हरी खाद के इस्तेमाल,गोबर खाद,बायोगेस तथा संतुलित उर्वरक के महत्व पर जोर दिया गया। वैज्ञानिकों ने किसानों की समस्याओं पर भी चर्चा की तथा विभिन्न फसलों के बारे में उन्हें सूचित किया। (च). मिट्टी,झारखण्ड के मिटटी तथा मृदा स्वस्थ्य कार्ड पर विस्तृत चर्चाl (छ). कृषि कार्य करते हुए तथा आम जनजीवन में कोरोना से बचाव की जानकारी दी गईl (ज). मेघदूत एवं दामिनी एप का महत्त्व तथा इसके इस्तेमाल के फायदे के बारे में बताया गया l (झ). वित्तीय समावेशन एवं किसान क्रेडिट कार्ड के बारे में विस्तृत जानकारी दी गईl कुल किसान : 35 महिला किसान : 00 पुरुष किसान : 35 मेघदूत ऐप इन्सटाल्ड (किसान द्वारा) : 23 दामिनी ऐप इन्सटाल्ड (किसान द्वारा) : 23 झारखण्ड का कृषि मुख्यतः मानसून वर्षा पर आधारित होता है। मौसम और जलवायु कि अनिश्चितता राज्य की खाद्यान्न सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। सुखाड़,पाला,ओलावृष्टि,लू,अतिवृष्टि और शीतलहर जैसे विपरीत मौसम के कारण फसल उत्पादन में प्रत्येक वर्ष काफी क्षति होती है। यदि मौसम कृषि के प्रतिकूल होता है तो कृषकों कि सारी मेहनत व्यर्थ हो जाती है। यदि किसान मौसम पूर्वानुमान के जानकारी के आधार पर दी गई सम सामायिक सलाह के अनुसार फसलों की बुआई,कटाई,सिंचाई एवं अन्य कार्य करे तो वे प्रतिकूल मौसम से होने वाली क्षति से बच सकते हैं एवं कृषि से अधिकतम लाभ सुनिश्चित कर सकते हैं। मानसून को देखते हुए धान एवं अन्य खरीफ फसलों की विस्तृत चर्चा करते हुए जानकारी दी गईl किसानों को सही मौसम की जानकारी के बारे में तथा मौसम आधारित कृषि कलाप करने से होने वाले फायदों के बारे में अवगत कराना। फसल में अवस्था के आधार पर उपयुक्त समय पर उचित प्रबंधन के इस्तेमाल पर भी जानकारी दी गई। साथ ही किसान भाईयों को इस मौसम में अपने खेतों की नियमित निगरानी करने को कहा क्योंकि अधिक आद्रतां तथा तापमान फसलों में कीटों और बीमारियों को बढावा देते है, इस अवसर पर मिट्टी जांच एवं मृदा स्वास्थ कार्ड की भी चर्चा की गई तथा इसके फायदे के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। किसानों को मौसम की सही जानकारी के बारे में तथा मौसम आधारित कृषि क्रिया कलाप करने से होने वाले फायदों के बारे में भी अवगत कराया गया। सामाजिक दूरी का पालन करते हुए कृषि कार्य करते हुए तथा आम जनजीवन में कोरोना से बचाव की विस्तृत जानकारी दी गईl साथ हीं मेघदूत एवं दामिनी एप का महत्त्व तथा इसके इस्तेमाल के फायदे के बारे में बताया गया और इसे कैसे उपयोग करते हैं बताया गयाl जागरूकता कार्यक्रम में मौके पर हीं 23 किसानों ने मेघदूत तथा दामिनी ऐप को अपने मोबाइल में इंस्टॉल कियाl किसानों को वित्तीय जागरूक तथा ऋण से सम्बंधित जानकारी विस्तार से दी गईl यह चर्चा किसानों के साथ-साथ वैज्ञानिकों के लिये भी काफी उपयोगी रही।