ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा के सौजन्य से पोड़ैयाहाट प्रखंड के केलाबाड़ी एवं बेलतुप्पा ग्राम में प्रगतिशील किसानों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित की गई। साथ ही गाजर घास जागरूकता सप्ताह कार्यक्रम का समापन किया गया । पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डाॅ सूर्यभूषण ने किसानों को धान की फसल में कीट प्रबंधन एवं रोग प्रबंधन की विस्तृत जानकारी दी। धान के फसल में छिड़काव करने के लिए रीजेन्ट दवाई की प्रयोग विधि बताई। उद्यान वैज्ञानिक डाॅ हेमन्त कुमार चौरसिया ने शकरकंद की उन्नत खेती की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। कृषकों द्वारा उत्पादित जैविक तरल खाद एनपीके -1 की प्रयोग करने की विधि बताई। कृषि प्रसार वैज्ञानिक डाॅ रितेश दुबे ने गाजर घास के हानिकारक प्रभाव पर प्रकाश डाला। कहां कि गाजर घास मनुष्य और जानवरों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक खर-पतवार है। इसके सम्पर्क में आने से मनुष्यों में त्वचा रोग, खुजली एवं दमा की बीमारी हो जाती है। दुधारू पशु यदि गाजर घास को खा लेती है तो उसके दूध में कसैलापन आ जाता है। गाजर घास को फूल आने से पहले ही जड़ से उखाड़ कर गड्ढे में इकट्ठा करके गोबर के साथ मिलाकर वेस्ट डीकम्पोजर का घोल का प्रयोग करके जैविक खाद बनाएं। प्रशिक्षण के अन्त में सभी किसानों को शकरकंद की लत, कुल्थी का बीज, अमरूद का पौधा, जैविक तरल खाद, रीजेन्ट का पैकेट, वेस्ट डीकम्पोजर की शीशी वितरित किया गया।
प्रगतिशील किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम में महेन्द्र हेम्ब्रम, बैजनाथ मुर्मू, किस्तु टुडू, श्याम लाल हेम्ब्रम, सनोती सोरेन, सुशीला देवी, सोनामुनी किस्कू, धनी टुडू, जोस्फीन किस्कू आदि मौजूद रहे।