दलितों पर अत्याचार करने वाले दबंगों के खिलाफ कार्रवाई करने में पुलिस सुस्त – प्राथमिकी दर्ज होने के 4 दिन बीत जाने के बाद भी दबंगों के खिलाफ नहीं हुई है कार्रवाई – दलितों को न्याय दिलाने के बदले मेहरमा पुलिस दबंगों के संरक्षक की भूमिका में
विजय कुमार की रिपोर्ट
मेहरमा।
स्थानीय थाना क्षेत्र के भगैया में बीते सोमवार की देर रात दलित समुदाय की एक लड़की से छेड़खानी का विरोध करने पर दबंगों ने दलितों के साथ जमकर मारपीट की थी। तीन महिला समेत दलित समाज के अनेक लोग घायल हुए थे। लेकिन प्राथमिकी दर्ज होने के 4 दिन बीत जाने के बावजूद पुलिस ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है। दलितों को न्याय दिलाने के बदले पुलिस की भूमिका दबंगों के संरक्षक के रूप में दृष्टिगोचर हो रही है। यही कारण है कि जिन लोगों पर अत्याचार हुआ, उनकी प्राथमिकी बाद में दर्ज की गई। वहीं दलितों पर अत्याचार करने वाले दबंगों की प्राथमिकी पहले दर्ज की गई। मेहरमा पुलिस की इस तरह की भूमिका के कारण कानून के रक्षक की भूमिका सवालों के घेरे में है। दबंगों के अत्याचार से पीड़ित दलित समाज के लोगों ने पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है। मालूम हो कि सोमवार को दिन रात एक जन्मदिन पार्टी के दौरान सोमरस के सुरूर में नाचते थिरकते तीन दबंग युवकों ने दलित समुदाय के घर से जबरन एक नाबालिग युवती को गलत नियत से गोद में उठाकर ले जाने लगे थे। विरोध करने पर दलितों के साथ जमकर मारपीट की थी। दलित समुदाय के महिलाओं एवं बच्चों समेत करीब एक दर्जन लोग बुरी तरह जख्मी हो गए थे। मारपीट एवं जातिसूचक शब्द बोलने के मामले में 22 लोगों को आरोपी बनाया गया है। सभी का इलाज उसी देर रात मेहरमा सीएचसी में कराया गया था। मारपीट की घटना में दबंग समुदाय के एक- दो लोगों को मामूली चोट आई है। इस मामले को लेकर मेहरमा थाना में दोनों पक्षों ने अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज करायी है। प्राथमिकी दर्ज के समय से ही मेहरमा पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है। आरोप लगाया जा रहा है कि दबंगों के आर्थिक एवं राजनीतिक प्रभाव से प्रभावित होकर थाना प्रभारी ने इस मामले में पहली बार प्राथमिकी दबंगों की ओर से दलितों के खिलाफ दर्ज की है, जिसका कांड संख्या 139/20है। वही दलितों की प्राथमिकी का कांड संख्या 141/20 है। घटना के बाद मेहरमा थाना प्रभारी सुरेंद्र कुमार सिंह एवं एएसआई विनय मंडल ने पूरे घटना की जानकारी ली थी। लेकिन बावजूद इसके कार्रवाई के नाम पर पुलिस मूक दर्शक बनी हुई है । चर्चा के अनुसार, दलितों पर दबंगों के अत्याचार के सूत्रधार पंचायत के मुखिया पति एवं उसके पुत्र हैं। इन लोगों की अच्छी राजनीति पहुंच है। आर्थिक रूप से भी दबंग काफी सबल हैं। जाहिर है, दबंगों के आर्थिक प्रभाव एवं राजनीतिक पहुंच के कारण पुलिस न्याय का गला घुटने पर आमादा है। आरोप लगाया जा रहा है कि दबंग समुदाय के चांदी के जूते से प्रभावित होकर पुलिस दलितों पर अत्याचार करने वाले के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। दलितों की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। बहरहाल, दबंगों के अत्याचार एवं पुलिस की भूमिका के कारण प्रताड़ित दलित परिवार डरे और सहमे हुए हैं । दलित परिवार की महिला अनीता देवी ने बताया कि जिस समय से हम लोग थाने में प्राथमिकी दर्ज कराए हैं, उसी समय से विपक्षी के द्वारा तरह तरह का दबाव बनाया जा रहा है। इस मामले को लेकर दलित परिवार ने पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है और दोषियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग किया है।