*मेरी कलम से -आप सबकी खिदमत में पेश है एक मधुर श्रावणी गजल*

आप सबकी खिदमत में पेश है एक मधुर श्रावणी गजल ।

सावन की बहारें कहती है तुझपे कोई गजल लिखूं,
रिमझिम फुहारें कहती है अपने दिल की बात लिखूं।।

अब तलक तुमसे जो बातें कह ना सके हम,
काले बादलों का इशारा है वो सारी बातें लिखूं।।

ये सुहाना मौसम हरी भारी वादियां कहती है,
तेरा दीदार करूं तुझपे कई प्रणय गीत लिखूं ।।

नदिया को विहवल धारा मचल मचल कहती है,
तेरे गेसुओं को छेडू कटारी नैनों की तारीफ लिखूं ।।

कड़कती बिजिलियों ने होले होले से फरमाया है,
तेरी बाहों में बाहें डाले मुस्काते कोई नज़्म लिखूं।।

तेरे बदन की भीनी भीनी खुशबू मुझसे कहती है,
आज तुझपे हो निसार कोई नर्गिसी गजल लिखूं ।।
आइए सावन का सुस्वागतम् करते
हुए सावधानी पूर्वक आनंद लें ।।
डॉ मनोज कुमार राही
घटियारी,गोड्डा,झारखंड ।

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