*Godda News: लोग  सत्यग्राही बनें*

लोग  सत्यग्राही बनें
पथरगामा।
स्वामी ब्रह्मलीन सरस्वती का दो सप्ताह से मौन साधना चल रहा है, जो शनिवार को समाप्त होगा। मौन  साधना समाप्ति के एक दिन पूर्व शुक्रवार को उन्होंने अपने लिखित संदेश में कहा कि मौन का अर्थ है मनन चिंतन करना। कहा कि मनुष्य को दुःख देनेवाला कौन है? दुःख से बचने का उपाय क्या है? और उस अभीष्ट को कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
कहा कि योग दर्शन में उसे हेय, हेय हेतु, हान और हानोपाय कहा गया। इन्हीं चार प्रयोजनों की सिद्धि के लिए साधना करनी चाहिए।

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स्वामी ब्रह्मलीन सरस्वती ने कहा कि मौन तीन प्रकार के होते हैैं। पहला आकार मौन, दूसरा दर्शन मौन, तीसरा काष्ठ मौन। कहा कि मौन साधना में वाणी में दिव्य शक्ति प्राप्त होती है। बल, बुद्धि, वैभव, यश, प्रेम, और समय के सदुपयोग से ईश्वर दर्शन। सहयोग करने की शक्ति भक्ति से आती है। सत्यग्राही होने से दिव्य वाणी, दिव्य चक्षु, दिव्य स्रोत, दिव्य मन और विशाल ह्रदय हो जाता है। इस मौके पर धनंजय भगत, कपिल भगत, नीलमणि देवी, चन्द्रगुप्त आर्य, मंजू देवी, राजकुमार शर्मा आदि मौजूद थे।

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