राजमहल परियोजना एवं संबद्ध आउटसोर्सिंग कंपनी में स्थानीय लोगों को मिले रोजगार – भारतीय जनता पार्टी ने परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक को सौंपा ज्ञापन अभय पलिवार/शाहीन खान गोड्डा। कोरोना काल की चुनौती के बीच देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशवासियों के उत्साहवर्धन के लिए आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न दिखा रहे हैं। देश की जनता से लोकल के लिए भोकल बनने का आह्वान कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सार्वजनिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण कोयला परियोजना राजमहल परियोजना, ललमटिया ( ईसीएल ) प्रधानमंत्री की भावनाओं को बेदर्दी पूर्वक रौंदने का कार्य करती रही है। परियोजना प्रबंधन की सौतेली नीति के कारण स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार के लिए पलायन करना पड़ रहा है।
प्रधानमंत्री के आह्वान को हथियार बनाते हुए भारतीय जनता पार्टी राजमहल परियोजना के प्रति हमलावर हो गई है। भाजपा ने परियोजना एवं इससे संबद्ध आउटसोर्सिंग में स्थानीय लोगों को रोजगार देने की मांग की है।इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष राजेश झा के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक को एक ज्ञापन भी समर्पित किया है।
दरअसल, ईसीएल की महत्वाकांक्षी राजमहल परियोजना, ल़लमटिया इस जिले के लोगों के लिए वरदान के बदले अभिशाप सिद्ध हो रही है। इलाकाई धरती के गर्भ में छिपे कोयले के भंडार का अंधाधुंध दोहन करने वाली यह परियोजना स्थानीय लोगों को कोयला भी उपलब्ध नहीं करा रही है। स्थानीय लोगों को कोयले की जरूरत पूरी करने के लिए अवैध कोयला पर निर्भर रहना पड़ रहा है। परियोजना में ठीका एवं सप्लाई के कामों में बाहरी लोगों का दबदबा है। परियोजना कार्य से जुड़ी आउटसोर्सिंग कंपनियों में भी स्थानीय श्रमिकों की बहुत कम भागीदारी है। परियोजना प्रबंधन की सौतेली नीति के कारण स्थानीय पढ़े-लिखे बेरोजगारों एवं श्रमिकों को रोजी रोजगार के लिए देश के अनेक हिस्सों में पलायन करना पड़ रहा है।
इन्हीं सब मुद्दों को आधार बनाते हुए भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष ने परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक डीके नायक को ज्ञापन समर्पित किया है। ज्ञापन में कहा गया है कि प्रधानमंत्री के सपने आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मनिर्भर झारखंड एवं आत्मनिर्भर गोड्डा का होना आवश्यक है। ज्ञापन के अनुसार, इस परियोजना में कोयला के लोकल सेल के नाम पर डीओ सिस्टम चलाया जाता है, जिसके माध्यम से यहां का कोयला ट्रकों के माध्यम से दूसरे राज्यों में भेजा जाता है। सभी डीओ होल्डर बाहरी हैं। लोकल सेल के बावजूद स्थानीय स्तर पर कोयला का एक भी डिपो नहीं है। स्थानीय लोगों को जलावन या ईट भट्टा के लिए वैध रूप से कोयला उपलब्ध नहीं हो पाता है। इसके लिए लोगों को अवैध उत्खनन के कोयले पर निर्भर रहना पड़ता है।
पार्टी ने मांग की है कि परियोजना में पार्ट पुर्जों के सप्लाई का काम स्थानीय बेरोजगारों को दिया जाए। पर योजना से संबद्ध आउटसोर्सिंग कंपनी सीआईएससी, महालक्ष्मी कंपनी, बिरला कंपनी आदि में स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जाए।