कप्तान का मान रखने के लिए पुलिस ने की छापामारी की खानापूर्ति

कप्तान का मान रखने के लिए पुलिस ने की छापामारी की खानापूर्ति
– शराब उत्पादन के महज एक ठिकाने पर दिखावे के लिए पुलिस ने दी दबिश
– एक लीटर शराब भी नहीं हो सका बरामद
– सिर्फ नष्ट की गई देसी शराब की भट्टी एवं महुआ जावा

बसंतराय से कुमार ललन की रिपोर्ट
बसंतराय( गोड्डा):
अवैध देसी शराब की मंडी के रूप में चर्चित सोरायकिता गांव में रविवार को पुलिस ने धावा बोला। लेकिन हैरत की बात यह है कि जिस गांव में करीब दो दर्जन घरों में अवैध ढंग से देसी शराब का निर्माण एवं सीमावर्ती बिहार के गांव तक बिक्री होती है, उस गांव के सिर्फ एक ठिकाने पर पुलिस ने दबिश दी। ताज्जुब की बात यह भी है कि जिस घर में व्यापक पैमाने पर अवैध ढंग से देसी शराब का निर्माण कर बिहार तक आपूर्ति की जाती है, उस घर से एक लीटर भी शराब बरामद नहीं किया जा सका। सिर्फ शराब बनाने में प्रयुक्त होने वाला जावा महुआ नष्ट किया गया एवं शराब की भट्टी तोड़ी गई। बसंतराय पुलिस की इस कार्रवाई से स्पष्ट होता है कि सिर्फ पुलिस कप्तान का मान रखने के लिए छापामारी की खानापूर्ति की गई।
जिले के पुलिस कप्तान वाईएस रमेश को गुप्त रूप से सूचना मिली थी कि सोरायकिता गांव में अवैध ढंग से शराब का निर्माण एवं बिक्री की जाती है। श्री रमेश के निर्देश पर बसंतराय थाना की पुलिस ने प्रखंड के आदिवासी बहुल सोरायकिता गांव के एक घर में छापामारी कर देसी शराब बनाने में प्रयुक्त होने वाला जावा महुआ नष्ट किया। साथ ही शराब की भट्टी को ध्वस्त किया गया। इस मामले में किसी की गिरफ्तारी की सूचना नहीं है।
गुप्त सूचना के आधार पर कार्यवाही के लिए पुलिस अधीक्षक श्री रमेश द्वारा विशेष टीम का गठन किया गया था। लेकिन टीम की कार्यशैली ने छापामारी अभियान को मजाक बनाकर रख छोड़ा।

महज दिखावे के लिए की गई कार्रवाई:
जानकारी का दावा रखने वाले सूत्रों पर यकीन करें तो स्थानीय पुलिस ने पुलिस अधीक्षक के आदेश पर महज खानापूर्ति के लिए छापेमारी की कार्रवाई की। सिर्फ एक घर में छापामारी कर ‘आई वॉश’ किया गया। जबकि हकीकत यह है कि इस आदिवासी बहुल गांव में करीब दो दर्जन घरों में अवैध ढंग से देसी शराब बनाने एवं बेचने का धंधा किया जाता है। लेकिन पुलिस ने अपने कप्तान के आदेश की खानापूर्ति के क्रम में महज एक घर में छापामारी की। छापामारी भी इस अंदाज में हुई कि अभियुक्त गिरफ्तार नहीं किया जा सका। जिस सोरायकिता गांव में तकरीबन दो दर्जन घरों में शराब बनाने एवं बेचने का धंधा किया जाता है, उस गांव के सिर्फ एक घर में छापामारी की घटना से पुलिसिया कार्रवाई की कलई स्वत: खुल जाती है। जानकारों का कहना है कि बगैर पुलिस की मिलीभगत के इस गांव में भारी पैमाने पर अवैध शराब का धंधा संभव प्रतीत नहीं होता।

इस गांव से बिहार तक आपूर्ति होती है शराब:
जानकारी का दावा करने वाले सूत्रों पर यकीन करें, तो इस गांव में व्यापक पैमाने पर अवैध ढंग से देसी शराब निर्माण एवं बिक्री का धंधा लंबे अरसे से फल फूल रहा है। बताया जाता है कि इस गांव में निर्मित देसी शराब की भारी-भरकम खेप सीमावर्ती क्षेत्र के बिहार के इलाकों तक आपूर्ति होती है। जानकारों का कहना है कि सुबह 4 बजे से ही बिहार के शराब तस्कर शराब ढोने में लग जाते हैं। प्रत्येक दिन हजारों लीटर शराब इस गांव से बिहार के गांवों तक पहुंचती है।
बावजूद इसके सिर्फ एक घर में छापामारी कर शराब भट्टी एवं जावा महुआ नष्ट किया जाना स्थानीय पुलिस की कार्यशैली पर बहुत बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। पुलिस कप्तान को इस मामले पर गंभीरता से संज्ञान लेने की जरूरत है।
बसंतराय प्रखंड के सिर्फ सोरायकिता में ही नहीं, बल्कि इस सीमावर्ती प्रखंड के आधा दर्जन से भी अधिक गांवों में व्यापक पैमाने पर अवैध ढंग से देसी शराब निर्माण एवं बिक्री का काम किया जाता है। बिहार से भी काफी संख्या में पियक्कड़ इन गांव में पहुंचते हैं। पुलिस सिर्फ दिखावे के लिए कभी-कभी छापामारी करती है। लोगों का कहना है कि अवैध शराब के धंधे के खिलाफ पुलिस बीच-बीच में यदि छापामारी करती रहे, तभी इस अवैध धंधे पर नकेल कसी जा सकती है।

*समाचार आज तक*

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