निलंबित नहीं, स्थानांतरित किए गए हैं बसंतराय के थानेदार
निलंबित नहीं, स्थानांतरित किए गए हैं बसंतराय के थानेदार
– ज्यादती के आरोपों की जांच का जिम्मा एसडीपीओ के हवाले
गोड्डा से अभय पलिवार की रिपोर्ट
गोड्डा
आरोपों के कारण बसंतराय के थाना प्रभारी मुकेश सिंह को पुलिस लाइन स्थानांतरित कर दिया गया है। सोशल मीडिया में स्थानांतरण के बदले उनके निलंबन का अफवाह है तैरता रहा। जबकि हकीकत यह है कि
बसंतराय के थाना प्रभारी मुकेश सिंह को निलंबित नहीं किया गया है, बल्कि उन्हें स्थानांतरित करते हुए पुलिस लाइन बुलाया गया है। स्थानांतरित थाना प्रभारी के विरुद्ध कुछ ग्रामीणों ने ज्यादती करने का आरोप लगाया था। आरोपों की जांच का जिम्मा अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अरविंद कुमार सिंह को सौंपा गया है। यह जानकारी पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र प्रसाद वर्णवाल ने दी।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को मुकेश सिंह को बसंतराय के थानेदार से स्थानांतरित करते हुए पुलिस लाइन में योगदान करने का आदेश जारी किया गया था। उनके स्थान पर बतौर थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह की पदस्थापना की गई है। जबकि सोशल मीडिया पर कुछ लोगों द्वारा यह खबर वायरल की गई थी कि थानेदार मुकेश सिंह को निलंबित कर दिया गया है।
शनिवार को पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र प्रसाद वर्णवाल ने बताया कि स्थानांतरित थाना प्रभारी मुकेश सिंह के खिलाफ थाना क्षेत्र के जहाजकिता के ग्रामीणों ने लॉक डाउन के दौरान मारपीट करने का आरोप लगाया था। कोरियाना गांव में भी पुलिस पर बल प्रयोग करने एवं प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया था। इस तरह के मामले राज्य पुलिस के उच्चाधिकारियों के संज्ञान तक पहुंच गया था। मामले की निष्पक्ष जांच के लिए ही मुकेश सिंह को थाना प्रभारी पद से स्थानांतरित किया गया है।
उधर, इस मामले पर सीमावर्ती एवं संवेदनशील बसंतराय थाना क्षेत्र में राजनीति शुरू हो गई है। कुछ लोग स्थानांतरण को निलंबन बताते हुए स्थानांतरित थानेदार के पक्ष में एवं पुलिस कप्तान के विरोध में सोशल मीडिया पर अनाप-शनाप टीका टिप्पणी कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग पुलिस अधीक्षक की कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए स्थानांतरित थानेदार के क्रियाकलापों को आरोपों के कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।
बताया जाता है कि मुकेश सिंह दूसरी बार बसंतराय के थाना प्रभारी बनाए गए थे। लेकिन उनके कार्यकाल में अपराधियों की गिरफ्तारी, हथियारों की बरामदगी संबंधी उपलब्धियां नगण्य रही। इलाके में बालू माफियाओं का खेल धड़ल्ले से चलता रहा। थाना क्षेत्र के अनेक गांव में शराब बनाने एवं बेचने का खेल खुलकर होता रहा। यहां तक कि थाना के नाक के नीचे शराब की बिक्री होती रही। पियक्कड़ों का जमघट लगता रहा। थाना क्षेत्र के करीब शराब बिक्री केंद्र पर एक बार धावा उत्पाद विभाग की पहल पर डाला गया। इस थाना क्षेत्र के झारखंड एवं बिहार के सीमावर्ती गांवों में शराब बनाने एवं बेचने का खेल जमकर होता है। सनौर एवं गोरगामा में पुलिस ने दिखावे के लिए एक बार छापामारी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान ली थी।
पुलिस के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि मुकेश सिंह के थानेदार के कार्यकाल में हथियारों की बरामदगी शून्य रही। जबकि हकीकत यह है कि इस सीमावर्ती क्षेत्र में अपराधियों का बोलबाला रहा है। अलबत्ता, यह बात सही है कि सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इस थाना क्षेत्र में मोहर्रम एवं दुर्गा पूजा एक साल से शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हो रहा है।