सौरभ कुमार/पंजवारा बाँका दुर्गा मैया की जय, दुर्गा माँ की जय, दुर्गा माता की जय और गाजे-बाजे की आवाज से पूरा माहौल गम में डूब जाता है। विसर्जन करते हजारों श्रद्धालु की आंखे नम हो जाती है। सभी की आंखों से माँ की विदाई के वक्त आंसू टपक पड़ते है। लेकिन इस बात की भी खुशी होती कि माँ अगले साल फिर आयेगी। बतादें कि दुर्गा पूजा के दसवें दिन माँ दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन का शिलशिला दोपहर के बाद से शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने नम आँखों से माँ दुर्गा को विदाई दी। माँ दुर्गा के विसर्जन के समय माहौल भक्तिमय हो जा रहा था। पूजा समितियों और श्रद्धालुओं ने धार्मिक रिति-रिवाज का पालन करते हुए माँ दुर्गा की प्रतिमा को चीर नदी में विसर्जित किया। मंदिर में माँ दुर्गा के विदाई से पहले पाठा की बलि दी गयी उसके बाद देवी दुर्गा को खोइचा दिया। महिलाओं ने विदाई के समय विदाई गीत भी गया। *श्रद्धालुओं के चेहरे पर मायूसी।* मंदिर से प्रतिमाओं को निकलने के समय श्रद्धालुओं के चेहरे पर मायूसी छाई थी। इसबार विधानसभा चुनाव को लेकर पूजा समितियों को कई नियमों में जिला प्रशासन ने बाँध दिया था। जिस कारण प्रतिमा विसर्जन के दौरान भीड़ कम दिखाई दी। विसर्जन के दौरान सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था थी, पंजवारा पुलिस एवं उत्तराखंड पुलिस विसर्जन के समय मुस्तैदी से तैनात थे ताकि कहीं से कोई भी अप्रिय घटना न घटे।